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मोदी पहुंचे ग्रीस, कैसे हैं भारत-ग्रीस संबंध

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रीस की एक दिवसीय यात्रा पर हैं. मोदी से पहले इंदिरा गांधी ग्रीस जाने वाली आखिरी भारतीय प्रधानमंत्री थीं. इंदिरा गांधी की यात्रा के 40 साल बाद जानिए क्यों जरूरी है ग्रीस भारत के लिए.

मोदी पहुंचे ग्रीस, कैसे हैं भारत-ग्रीस संबंध
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दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद मोदी एक दिन की यात्रा पर ग्रीस पहुंचे हैं. यह उनकी पहली ग्रीस यात्रा है. राजधानी एथेंस पहुंचने पर मोदी का स्वागत विदेश मंत्री जॉर्ज जेरापेट्राइटिस ने किया. यात्रा के दौरान मोदी ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिससे मिलेंगे और द्विपक्षीय रिश्तों पर बातचीत करेंगे.

मोदी ग्रीस की राष्ट्रपति कैटरीना साकेलारोपोलो से भी मिलेंगे. वो ग्रीस के बिजनेस लीडर्स से भी मिलेंगे और इसके अलावा ग्रीस में रहने वाले भारतीय समुदाय के सदस्यों से भी मिलेंगे. इस यात्रा के मद्देनजर आइए दोनों देशों के आपसी संबंधों पर एक नजर डालते हैं.

पुराने रिश्ते

दोनों देशों के बीच दोस्ताना रिश्तों का पुराना इतिहास है. दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की शुरुआत मई 1950 में हुई. उसी साल दिल्ली में ग्रीस का दूतावास खुला था. एथेंस में भारतीय दूतावास 1978 में खुला था. ग्रीस लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का समर्थन करता है.

मोदी सरकार विशेष रूप से ग्रीस के साथ संबंधों को और गहरा करने की ओर ध्यान दे रही है. जनवरी 2023 में ही विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी आधिकारिक यात्रा पर ग्रीस गई थीं. उनसे पहले वाणिज्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल अप्रैल 2022 में ग्रीस गई थीं.

उनसे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर जून 2021 में ग्रीस गए थे. जून 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी चार दिनों की आधिकारिक यात्रा पर ग्रीस गए थे. उनके साथ एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल भी था और दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए.

दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक रिश्ते भी हैं. 2022-23 में दोनों देशों के बीच 160 अरब रुपयों का व्यापार हुआ. हालांकि इस व्यापार का तराजू ग्रीस की तरफ ज्यादा झुका रहा. भारत ने 95 अरब रुपयों का आयात किया और 64 अरब रुपयों का निर्यात किया.

भारत एल्युमीनियम, ऑर्गेनिक केमिकल, मछलियां, लोहा, इस्पात, प्लास्टिक, फल, प्याज, गरम मसाले, कॉफी, चाय, बड़ी मशीनें, मेडिकल उपकरण, गाड़ियां, पुर्जे समेत कई उत्पाद ग्रीस निर्यात करता है. ग्रीस से भारत एल्युमीनियम फोरील, सल्फर, सीमेंट, न्यूक्लियर रिएक्टर, बॉयलर, कपास, रसीले फल, मशीनें, संगमरमर, नाव, जहाज समेत कई उत्पादों का आयात करता है.

ग्रीस में कई भारतीय कंपनियां भी सक्रिय हैं. इनमें भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी जीएमआर और भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी यूपीएल हेल्लास शामिल हैं. जीएमआर ग्रीस की एक कंपनी के साथ मिल कर क्रीट द्वीप पर नया एयरपोर्ट बना रही है.

ग्रीस में 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक वहां 11,333 भारतीय रहते थे. अनुमान है कि इस समय देश में रह रहे भारतीय लोगों की संख्या 13 से 14,000 के बीच है. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह मुख्य रूप से पंजाब के रहने वाले सिख समुदाय के लोग हैं.

राजनीतिक समर्थन

कई राजनीतिक मुद्दों पर ग्रीस भारत के हितों का समर्थन करता है. कश्मीर विवाद पर ग्रीस भारत की स्थिति का समर्थन करता है. भारतीय विदेश मंत्रालय का दावा है कि "नागरिकता संशोधन अधिनियम(सीएए)/राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी), धारा 370 को हटाना, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुनर्गठन और राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले जैसे विषयों पर ग्रीस ने कहा है कि यह सब भारत के आंतरिक मामले हैं."

हार्ड न्यूज पत्रिका के संपादक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार संजय कपूर का मानना है कि सामरिक रूप से ग्रीस भारत के लिए बेहद जरूरी बन गया है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "पिछले कुछ सालों से भारत ग्रीस और साइप्रस के साथ मिल कर तुर्की का मुकाबलाकरने के लिए काम कर रहा है. तुर्की पाकिस्तान का समर्थक रहा है."

कपूर ने यह भी कहा कि मोदी की यात्रा इस बात का भी संकेत है कि भारत अपने तरीके से ग्रीस की अर्थव्यवस्था में प्रवेश करना चाहता है, जैसा कि चीन ने कई साल पहले किया था. उनके मुताबिक, "यह दिखाता है कि अभी तक जितना समझा गया, भारत उससे बड़ा भू-सामरिक खेल खेल रहा है."


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