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कांग्रेस के न्याय पत्र का प्रचार करते मोदी

राजनीति में सही जवाब यह होता है कि भाजपा अपने घोषणा पत्र में जो अभी नहीं आया है बता दे कि उसने तो इतने करोड़ नौकरियां युवाओं को दे रखी हैं

कांग्रेस के न्याय पत्र का प्रचार करते मोदी
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- शकील अख्तर

राजनीति में सही जवाब यह होता है कि भाजपा अपने घोषणा पत्र में जो अभी नहीं आया है बता दे कि उसने तो इतने करोड़ नौकरियां युवाओं को दे रखी हैं। उनका डिटेल दे दे। और कहें कि कोई युवा बेरोजगार ही नहीं है। कांग्रेस नौकरी देगी किसको? आखिर दो करोड़ नौकरी प्रति वर्ष देने का वादा किया था। दस साल में बीस करोड़ हो जाती हैं। मगर वह बताएगी या नहीं पता नहीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र पर मुस्लिम लीग का प्रभाव! टीवी पर डिबेट हो गई। अखबारों में फर्स्ट लीड बन गई। कांग्रेस ने जवाब दे दिया। मगर प्रभाव क्या? यह तो मोदी ने बोला ही नहीं। बताया ही नहीं!

यही आज के जमाने का पोस्ट ट्रूथ ( सत्य से परे, जो सत्य नहीं होता मगर लोग विश्वास करते हैं) है जिसे मोदी जी ने दस साल से अपना रखा है। कुछ भी कह दो। चल जाएगा। और सत्य दब जाएगा।

लड़ाई मुश्किल है। मगर दुनिया भर में लड़ी जा रही है। भारत में भी लड़ना होगी। नहीं तो इसी तरह सत्य दफन होता रहेगा और झूठ अट्टहास करता रहेगा।
पोस्ट ट्रूथ किसी देश को मजबूत बनाने के लिए नहीं है। बल्कि झूठ को मजबूत बनाने के लिए है। वह बोलना जो चल जाए। लोग जो सुनना चाहते हैं। उस पर विश्वास कर लें। यह नया ही सिद्धांत है और राजनीति में पिछले कुछ सालों से इसका उपयोग शुरू हुआ है।

अगर आप जानकारी करने की कोशिश करें तो आपको मालूम होगा कि दुनिया में केवल दो ही नेताओं का नाम इसका सर्वाधिक उपयोग करने में आता है। एक डोनाल्ड ट्रंप और दूसरे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

ट्रंप का ही चुनाव प्रचार करने नरेन्द्र मोदी अमेरिका गए थे। वहीं उन्होंने नारा लगाया 'अबकी बार ट्रंप सरकार!' मगर ट्रंप हार गए। लेकिन उन्होंने हार मानने से इनकार कर दिया। यही पोस्ट ट्रूथ है! सत्य को मानने से इनकार। जनता को झूठ समझाते-समझाते खुद भी उस पर यकीन करने लगते हैं। मैं हार ही नहीं सकता। मैं अमर हूं। आपको मालूम है ट्रंप कहते हैं मैं दो सौ साल जिऊंगा!

मगर वह अमेरिका था। दुनिया सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश। उसने चार साल में ट्रंप को उठाकर फेंक दिया। आज बाइडन जिन्होंने ट्रंप को हराया था कह रहे हैं कि वे जहां भी विदेशों में जाते हैं, उनसे एक ही बात कही जाती है कि ट्रंप को अब मत आने देना। ट्रंप दुनिया भर के लिए एक खतरे के रूप में देखे जा रहे हैं। हालांकि वे फिर अगले साल होने वाले अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवार हैं। और यह देखना इस साल हमारे यहां और फिर अगले साल अमेरिका में दिलचस्प होगा कि पोस्ट ट्रूथ के इन दोनों सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं के साथ जनता क्या करती है।

पोस्ट ट्रूथ जनता को ही भरमाने के लिए है। और यह देखना मजेदार होगा कि जनता कितना भ्रमित होती है, या नहीं। अमेरिका में तो समय है। मगर हमारे यहां तो कुछ ही हफ्तों में 4 जून को स्पष्ट हो जाएगा कि यह झूठ का खेल अभी और चलेगा या इस पर पूर्णविराम लग जाएगा।

चुनाव रफ्तार पकड़ चुका है। मोदी जी रोज नए नए भाषण दे रहे हैं। मगर इन सब में एक चीज पुरानी है कि वे यह नहीं बता रहे कि उन्होंने दस सालों में क्या किया? विपक्ष पर आरोप पर आरोप लगा रहे हैं। जैसे भाजपा विपक्षी पार्टी हो और कांग्रेस सरकार में हो। विपक्ष पूछता है सरकार से कि आपने पांच साल में क्या किया? यहां तो उल्टा दस साल सत्ता में रहकर, तमाम राज्यों में डबल इंजन सरकार चलाकर मोदी जी उल्टा कांग्रेस से कह रहे हैं कि आपने क्या किया?

अपने दस साल तो वह ऐसे देख रहे हैं जैसे दस दिन हों! कभी-कभी को लगता है केवल दस मिनट! जी हां। वे कह तो ऐसे ही रहे हैं। पहले कहा यह तो ट्रेलर है। मतलब दस साल में कुछ नहीं किया। फिर अगले दिन कहते हैं। यह तो स्टार्टर है।

स्टार्टर शब्द उन्हें मध्यम वर्ग और उच्च मध्यमवर्ग के लिए दिया गया। जो भी उनके भाषण लिखता है। क्योंकि स्टार्टर मोदी जी का फेमिलियर (जाना-पहचाना, अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला) शब्द नहीं है। खैर जो भी हो तो मोदी जी कहते हैं यह दस साल तो स्टार्टर थे। पूरी थाली तो अभी बाकी है!

मगर भाषण लिखने वाला यह भूल गया कि पिछले दस साल की महंगाई में मिडिल क्लास और हायर मिडिल क्लास भी स्टार्टर छोड़ चुका। पहली बात तो बाहर आना-जाना बंद हो गया। और कभी जाता भी है तो सीधा मेन कोर्स ही मंगाता है। स्टार्टर और एपिटाइजर तो वह भूल गया। यह सब तो दस साल पहले जब मंहगाई कंट्रोल में थी और उसकी तनख्वाहें बढ़ी हुईं थी तब वह आर्डर करता था।

अगर आप स्थानीय अख़बार देखें तो वह हर शहर के होटल रेस्टोरेंट की इन खबरों से भरे होंगे कि लोगों का आना-जाना कम हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस पर सर्वे हुआ है। और ग्लोबल कंज्यूमर इनसाइट्स पल्स सर्वे ने कहा है कि दस में से छह भारतीय यानि 63 प्रतिशत लोगों ने बाहर खाने जाना बंद कर दिया है या कम कर दिया है और इसके दो प्रमुख कारण हैं। एक आय में कमी। दूसरे महंगाई की वजह से होटलों के महंगे हुए मीनू कार्ड।

होटल के लिए सबसे अच्छा समय 2004 के बाद शुरू हुआ था। जब लोगों की आमदनी बढ़ रही थी। और उनके पास काम के बहुत सारे विकल्प हुआ करते थे और तभी मध्यम वर्ग कई कोर्सों में खाना खाता था। परिवार के साथ। अब आप खुद से पूछ लीजिए कि कितना बाहर खाने जाते हैं। और जब जाते हैं तो पहले के मुकाबले कितना कम आर्डर करते हैं। और खाने के बाद की आइसक्रीम के लिए कहते हैं बाहर चल कर खाएंगे। खुली हवा में ज्यादा मजा आता है!

लेकिन आज आप कुछ भी बोल दो चलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा स्टार्टर है मान लिया। मगर सच में यह दस साल पानी का ग्लास भी नहीं है। दस साल कम नहीं होते। मगर प्रधानमंत्री के पास बताने के लिए कुछ भी नहीं है। वे अभी भी कह रहे हैं कि कांग्रेस लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं से कट गई है।

है ना मजेदार चीज! दस दिन बाद पहले चरण का मतदान होना है। प्रधानमंत्री देश भर में घूम रहे हैं। रोज नई-नई बातें कर रहे हैं। मगर देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी और महंगाई पर एक शब्द भी नहीं बोल रहे। जबकि कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जिसे वह न्यायपत्र कह रही है रोजगार पर ही केंद्रित किया है। युवा न्याय नाम के चेप्टर में वह कहती है कि हमारा युवा राष्ट्र है। जिसकी औसत आयु केवल 28 वर्ष है। कांग्रेस का घोषणा पत्र जिसका जिक्र कांग्रेस के नेताओं से ज्यादा प्रधानमंत्री कर रहे हैं कहते हंै कि 'आज भारत के युवाओं को बेरोजगारी के साथ-साथ निराशा का भी सामना करना पड़ रहा है' और घोषणा पत्र केवल समस्या नहीं बताता। समाधान भी बताते हुए कहता है कि सरकार बनते ही 30 लाख खाली पड़ी सरकारी नौकरियां तुरंत युवाओं को दी जाएंगी।

यही बात है कि प्रधानमंत्री को कांग्रेस के घोषणा पत्र पर रिएक्ट करना पड़ता है। वैसे तो राजनीति में सही जवाब यह होता है कि भाजपा अपने घोषणा पत्र में जो अभी नहीं आया है बता दे कि उसने तो इतने करोड़ नौकरियां युवाओं को दे रखी हैं। उनका डिटेल दे दे। और कहें कि कोई युवा बेरोजगार ही नहीं है। कांग्रेस नौकरी देगी किसको? आखिर दो करोड़ नौकरी प्रति वर्ष देने का वादा किया था। दस साल में बीस करोड़ हो जाती हैं। मगर वह बताएगी या नहीं पता नहीं। फिलहाल तो मोदी जी, भाजपा और उनका प्रिय मीडिया कांग्रेस के घोषणा पत्र में क्या है और क्या नहीं है यह बताकर कांग्रेस के न्याय पत्र को भरपूर प्रचार देने में लगे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)


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