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मोदी ने किया अडालज में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर जिले के अडालज में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का बुधवार को शुभारंभ किया

मोदी ने किया अडालज में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ
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अडालज (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर जिले के अडालज में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का बुधवार को शुभारंभ किया।

श्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि हाल ही में देश ने मोबाइल और इंटरनेट की पांचवीं जनरेशन 5 जी के युग में प्रवेश किया है। उन्होंने कहा, “ हमने इंटरनेट की एक जी से लेकर 4 जी तक की सेवाओं का उपयोग किया है। अब देश में 5 जी बड़ा बदलाव लाने वाला है। हर जेनरेशन के साथ सिर्फ स्पीड ही नहीं बढ़ी है, बल्कि हर जेनरेशन ने टेक्नॉलॉजी को जीवन के करीब-करीब हर पहलू से जोड़ा है। ”

श्री मोदी ने कहा,“ इसी प्रकार हमने देश में स्कूलों की भी अलग-अलग जेनरेशन को देखा है। आज 5 जी स्मार्ट सुविधाएं, स्मार्ट क्लासरूम, स्मार्ट टीचिंग से आगे बढ़कर हमारी शिक्षा व्यवस्था को नेक्स्ट लेवल पर ले जाएगा। अब वर्चुअल रियलिटी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इसकी ताकत को भी हमारे छोटे-छोटे बाल साथी हमारे विद्यार्थी स्कूलों में बड़ी आसानी से अनुभव कर पाएंगे। मुझे खुशी है कि इसके लिए गुजरात ने इस मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर पूरे देश में बहुत बड़ा और महत्‍वपूर्ण और सबसे पहला कदम उठा दिया है। मैं भूपेंद्र भाई को, उनकी सरकार को, उनकी पूरी टीम को भी साधुवाद देता हूं शुभकामनाएं देता हूं। ”

श्री मोदी ने कहा, “बीते दो दशकों में गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में जो परिवर्तन आया है, वह अभूतपूर्व है। बीस साल पहले हालत यह थी कि गुजरात में 100 में से 20 बच्चे स्कूल ही नहीं जाते थे। यानी 5वां हिस्‍सा शिक्षा से बाहर रह जाता था और जो बच्चे स्कूल जाते थे, उनमें से बहुत सारे बच्चे 8वीं तक पहुंचते-पहुंचते ही स्कूल छोड़ देते थे। इसमें भी दुर्भाग्य था कि पुत्रियों की स्थिति तो और खराब थी। गांव के गांव ऐसे थे, जहां पुत्रियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। आदिवासी क्षेत्रों में जो थोड़े बहुत पढ़ाई के केंद्र थे, वहां साइंस पढ़ाने की सुविधाएं तक नहीं थी। मुझे खुशी है, मैं जीतू भाई को और उनकी टीम की कल्पना को विशेष रूप से बधाई देता हूं। शायद आप वहां से देख रहे थे, क्‍या हो रहा है मंच पर, समझ नहीं आया होगा। लेकिन मेरा मन करता है मैं बता दूं। ”

उन्होंने कहा, “अभी जो बच्चे मुझे मिले वह वह बच्चे थे, जब 2003 में पहला स्कूल प्रवेशोत्सव किया था और मैं आदिवासी गांव में गया था। 40-45 डिग्री सेल्सियस गर्मी थी। 13,14 और 15 जून के वह दिन थे और जिस गांव में बच्चों का सबसे कम शिक्षण था और लड़कियों की सबसे कम शिक्षा थी, उस गांव में मैं गया था, मैंने गांव में कहा था कि मैं भिक्षा मांगने आया हूं। आप मुझे भिक्षा में वचन दीजिए कि मुझे आपकी बालिका को पढ़ाना है और आप अपनी लड़कियों को पढ़ायेंगे। ”

उन्होंने कहा,“ उससे पहले कार्यक्रम में जिन बच्चों की उंगली पकड़कर मैं स्कूल ले गया था उन बच्चों का आज मुझे दर्शन करने का मौका मिला है। इस मौके पर मैं सबसे पहले उनके माता-पिता को वंदन करता हूं क्योंकि उन्होंने मेरी बात को स्वीकारा। मैं स्कूल ले गया लेकिन उन्होंने उसके महात्मय को समझकर उन्होंने बच्चों को जितना पढ़ा सके उतना पढ़ाया और आज वह खुद के पैर पर खड़े हुए मिले। मुझे इन बच्चों से मिलकर खासकर उनके माता-पिता को वंदन करने का मन होता है। गुजरात सरकार जीतूभाई को बधाई देता हूं कि मुझे इन बच्चों से मिलने का आज अवसर मिला जिसे पढ़ाने के लिए उंगली पकड़कर ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला था। ”


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