बिल्किस बानो से राखी बंधवा लें मोदीजी
हरियाणा में दंगों की आग भड़क गई थी और अब वहां कई जगहों पर मुस्लिमों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान पोस्टरों के भाषणों के जरिए किया जा रहा है

- सर्वमित्रा सुरजन
हरियाणा में दंगों की आग भड़क गई थी और अब वहां कई जगहों पर मुस्लिमों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान पोस्टरों के भाषणों के जरिए किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के अशोक नगर में ग्राम पंचायत धोरा के चार गांवों में सरपंच के कहने पर ईसाई और मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश को रोक दिया गया है। देश में चारों ओर असुरक्षा का माहौल बन रहा है, मोदीजी किस-किस को राखी बांधने और बंधवाने की सलाह देंगे।
रक्षाबंधन में अभी काफी दिन हैं, अगर प्रधानमंत्री जी का कोई कार्यक्रम अब तक सुनिश्चित न हुआ हो कि वे इस बार देश के किस कोने में पहुंचकर, किस तबके की महिलाओं से राखी बंधवाने वाले हैं, तो उन्हें सलाह है कि इस बार वे अपने गृहराज्य चले जाएं। वहां बिल्किस बानो रहती हैं। श्री मोदी इस बार बिल्किस बानो से रक्षासूत्र बंधवा लें तो अमृतकाल का यह अमृत क्षण बन कर देश के इतिहास में सदा के लिए अमृत स्मृति बन जाएगा। बिल्किस बानो मुस्लिम महिला हैं, तो उनसे राखी बंधवाकर श्री मोदी अपने ही वचनों को सार्थक करेंगे। इस तरह मोदीजी, पर उपदेश कुशल बहुतेरे। जे आचरहिं ते नर न घनेरे की मिसाल भी अपने सांसदों के सामने पेश कर सकते हैं।
हाल ही में दो बैठकों में उन्होंने भाजपा और एनडीए के नेताओं से मुस्लिम महिलाओं के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाने को कहा है, ताकि वे सुरक्षित महसूस कर सकें। तो इसकी शुरुआत उन्हें ही करना चाहिए। वैसे सवाल किया जा सकता है कि आखिर 9 सालों में मोदी सरकार ऐसा माहौल क्यों नहीं बना पाई कि मुस्लिम या किसी भी तबके की महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें। सवाल ये भी है कि महिलाओं को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए उनसे राखी बंधवाने की क्या जरूरत। क्या मोदीजी भी राखी के त्योहार को केवल इसी नजरिए से देखते हैं कि भाई की कलाई पर रक्षासूत्र इसलिए बांधा जाता है ताकि वो बहन की हिफाजत कर सके। क्या महिलाएं अपनी हिफाजत खुद करने के काबिल नहीं हैं। अगर नहीं हैं, तो क्या उन्हें इस काबिल नहीं बनाया जाना चाहिए। मोदी सरकार जिस महिला सशक्तीकरण और नारी शक्ति की बात करती रही है, क्या वो केवल जुबानी और कागजी थीं, उनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं था।
खैर महिलाओं की रक्षा हो न हो, महिलाएं रोज प्रताड़ना का शिकार होती रहीं, फिर भी रक्षाबंधन का त्योहार तो जैसे सदियों से मनता आया है वैसे ही आगे भी चलता रहेगा। अभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर अगले साल आम चुनाव हैं, जिसमें इस बार भाजपा को इंडिया से मुकाबला करना है, तो अब भाजपा इसके लिए नयी-नयी तिकड़में भिड़ाने में लगी है। इंडिया यानी 26 दलों के गठबंधन में एकता बनी रही और आगे कुछ और दल इसमें शामिल हो गए, तो फिर भाजपा का लोकसभा में 3 सौ पार का सपना धरा का धरा रह जाएगा। अब तो राहुल गांधी मानहानि की सजा से मुक्त हो चुके हैं, और संसद भी फिर से आ गए हैं। इससे मोदी सरकार की मुश्किलें और बढ़ेंगी, ये तय है।
राजनैतिक मुश्किलों का समाधान राजनैतिक तरीकों से ही निकालने की कोशिश करनी चाहिए। मगर मोदीजी इसमें घालमेल करने में लगे हैं। राम मंदिर बनना शुरु हो चुका है, जिसका उद्घाटन अगले साल की पहली तारीख को शायद हो जाए। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे करने में लगी है। मथुरा की शाही ईदगाह भी कतार में है। तो अयोध्या, मथुरा, काशी के बाद हिंदुत्व को और कैसे भुनाया जाए, इसकी तलाश भाजपा कर रही होगी। हिंदुओं के साथ-साथ आदिवासियों के लिए भाजपा जाल बिछा ही चुकी है। इधर पसमांदा मुस्लिमों को अपने पाले में करने की कोशिश भाजपा कर रही है। इसके साथ ही मुस्लिम महिलाओं की याद भी श्री मोदी को आ गई। इस याद का सीधा संबंध चुनावों से है, इंडिया के गठन से है।
जब मुस्लिम महिलाओं से ही राखी बंधवानी है, तो मोदीजी को बिल्किस बानो से राखी बंधवा कर इसकी शुरुआत करना चाहिए। उनके मुख्यमंत्री रहते हुए ही गुजरात दंगों में बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उनके परिवार के लोगों को उनकी आंखों के सामने मारा गया था। बलात्कारी और हत्यारे बिल्किस के गांव के ही थे और वो उनसे हाथ जोड़ कर रहम की अपील करती रहीं कि वो उनकी बहन के समान हैं। लेकिन अपराधियों ने बिल्किस को एक मुस्लिम और एक महिला की तरह ही देखा, जिस पर वो बल प्रयोग कर सकते थे। अपने अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचवाने में बिल्किस को दो दशकों का लंबा वक्त लग गया। इस दौरान उनका आत्मसम्मान चकनाचूर किया गया, उनके मामूली सपनों तक को रौंद दिया गया। इतना काफी नहीं था तो अच्छे आचरण का हवाला देते हुए बिल्किस के बलात्कारियों को पिछले साल जेल से छोड़ भी दिया गया और बाकायदा उनका फूल माला के साथ स्वागत किया गया। भाजपा के नेता ने इन लोगों को संस्कारी ब्राह्मण तक कहा था।
बिल्किस बानो के गुनहगारों को दोषी ठहराने और सजा देने वाले निचली अदालत के जज यूडी साल्वी, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्होंने गुनहगारों के जेल से बाहर निकलने और इस पर मिठाई बांटे जाने, माला पहनाकर स्वागत किए जाने को लेकर कहा था कि ये सही नहीं है। लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने पूछा, जेल से बाहर आने वाले परिवार के सदस्य को माला पहनाने में क्या गलत है?
इस एक सवाल से मोदी सरकार की महिला सुरक्षा और नारी सम्मान के दावों की हकीकत सामने आ जाती है। उसूलों और हक की बात करने के लिए जेल जाना और रिहाई पर फूलों से स्वागत अलग बात है। लेकिन अगर कोई चोरी, हत्या या बलात्कार जैसे गंभीर अपराध के लिए जेल जाए क्या तब भी वो स्वागत के काबिल माना जाएगा। अपराधियों को इज्जत बख्शने का ये कौन सा नया चलन देश में चलाया जा रहा है। एस वी राजू जिन लोगों को माला पहनाने को सही ठहरा रहे हैं, उन पर एक महिला से सामूहिक बलात्कार और 14 लोगों की हत्या का दोष है। अगर ऐसे लोगों को माला पहनाना सही है, तो फिर इस बात पर भी आश्चर्य नहीं होगा, अगर अगले चुनावों में इन लोगों को टिकट मिल जाए, हत्या और बलात्कार को इनकी योग्यता बताया जाए। एक ओर बलात्कारियों के स्वागत का माहौल बनाया जा रहा है, दूसरी ओर मुस्लिम महिलाओं से राखी बंधवाने की रणनीति बन रही है। राजनीति की ऐसी तिकड़में न्यू इंडिया को और कैसा इंडिया बनाएंगी, ये सोच कर ही डर लगता है। वैसी इसकी मिसाल मणिपुर मामले में मिल ही चुकी है।
इस मामले को लेकर अब इंडिया के अविश्वास प्रस्ताव का सामना मोदी सरकार कर रही है। बुधवार को राहुल गांधी ने अपने संक्षिप्त लेकिन तीखे भाषण में मोदी सरकार पर गंभीर इल्जाम लगाया है कि आप भारत माता की हत्या कर रहे हैं। भाजपा उनके शब्दों को पकड़कर उन्हें घेरने की कोशिश कर रही है। और उस भावना से लोगों का ध्यान भटका रही है, जो राहुल गांधी ने इस इल्जाम के जरिए प्रकट की। श्री गांधी मणिपुर के लोगों, वहां की महिलाओं के दर्द पर मोदी सरकार से जवाब मांग रहे थे और वो उस वक्त शोर-शराबा करती हुई राजस्थान और प.बंगाल का नाम ले रही थी। इसी से समझ आता है कि मणिपुर के समाधान में मोदी सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है। भाजपा की दिलचस्पी केवल चुनाव जीतने में है। और इसी वजह से धु्रवीकरण का खेल शुरु हो चुका है।
मणिपुर में दो समुदाय आपस में तीन महीनों से हिंसक तरीके से टकरा रहे हैं। हरियाणा में दंगों की आग भड़क गई थी और अब वहां कई जगहों पर मुस्लिमों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान पोस्टरों के भाषणों के जरिए किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के अशोक नगर में ग्राम पंचायत धोरा के चार गांवों में सरपंच के कहने पर ईसाई और मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश को रोक दिया गया है।
देश में चारों ओर असुरक्षा का माहौल बन रहा है, मोदीजी किस-किस को राखी बांधने और बंधवाने की सलाह देंगे। इस की जगह वे संविधान की भावना के मुताबिक देश को चलाने की कोशिश करेंगे, सबकी सुरक्षा का सूत्र वहीं मिलेगा।


