मोदी सरकार को दलितों और गरीबों के हित में कोई रुचि नहीं: गुलामनबी
कांग्रेस ने एससी एसटी में तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान हटाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में आयोजित ‘भारत बंद’ के दौरान जानमाल के नुकसान के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान हटाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में आयोजित ‘भारत बंद’ के दौरान जानमाल के नुकसान के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आज इस कानून में संशोधन के लिए तत्काल विधेयक लाने की मांग की।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलामनबी आजाद तथा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि मोदी सरकार को दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और गरीबों के हित में कोई रुचि नहीं है।
सरकार की इसी अरुचि का परिणाम है कि उच्चतम न्यायालय में एससी/एसटी अत्याचार विरोधी कानून को कमजोर कर इस वर्ग के हितों को नुकसान पहुंचाया गया है।
उन्होंने कहा कि संसद के बजट सत्र के अभी चार दिन बचे हैं और सरकार को इस कानून में संशोधन लाना चाहिए।
आजाद ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार को देश की एक चौथाई आबदी की परवाह नहीं है। उसके हितों के प्रति उसकी कोई रुचि नहीं है जिसकी वजह से दलितों तथा आदिवासियों के हितों को संरक्षण देने वाला यह कानून कमजोर हुआ है।
उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में पिछले महीने फैसला दे दिया था लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर पहले जानबूझकर वरिष्ठ वकील को न्यायालय में पेश नहीं किया और फैसला आने के बाद इस वर्ग के हितों के नुकसान पर ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा दलितों और आदिवासियों के हितों पर ध्यान दिया है। आजादी से पहले महात्मा गांधी तथा कांग्रेस के अन्य नेता पार्टी के मंच से दलित हितों के मुद्दे उठाते थे और उनकी आवाज बनकर काम करते थे। आजादी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नेतृत्व वाली सरकार 1989 में इस कानून को लेकर आयी लेकिन मोदी सरकार इसे कमजोर कर रही है।


