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मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए नज थ्योरी का इस्तेमाल किया : निर्मला

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर द्वारा दी गई नज थ्योरी का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने के लिए विभिन्न पहलों में किया है

मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए नज थ्योरी का इस्तेमाल किया : निर्मला
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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर द्वारा दी गई नज थ्योरी का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने के लिए विभिन्न पहलों में किया है।

श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) के वार्षिक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस सिद्धांत का उपयोग भारत की जरूरतों के अनुरूप आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा रहा है।

निर्मला ने बताया कि इसके उपयोग के उदाहरण 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना में देखे जा सकते हैं, जिससे लिंगानुपात में सुधार हुआ है।

वित्तमंत्री ने अपनी बात को रेखांकित करने के लिए स्टैंड अप इंडिया योजना का भी जिक्र किया, जिसके तहत महिलाओं को सब्सिडी वाले ऋण दिए जाते हैं, और लोगों से एलपीजी सिलेंडर सब्सिडी छोड़ने का आग्रह करने के प्रधानमंत्री के प्रयास का भी जिक्र किया।

नज सिद्धांत व्यवहारिक अर्थशास्त्र, निर्णय लेने, व्यवहार नीति, सामाजिक मनोविज्ञान, उपभोक्ता व्यवहार और संबंधित व्यवहार विज्ञान में एक अवधारणा है जो समूहों के व्यवहार और निर्णय लेने के अनुकूल डिजाइन का प्रस्ताव करता है।

वित्तमंत्री ने अपने संबोधन में आगे कहा कि ऐसी सरकार की जरूरत है, जो भविष्यवादी हो, सुधारों के लिए तैयार हो और व्यवसायों को बढ़ने के लिए स्थिरता प्रदान करे।

उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने जिस तरह के फैसले लिए हैं और जो पहले पिछली सरकारों के दौरान नहीं हुए थे, उनमें बिल्कुल यही अंतर है।"

सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री "पात्रता" के सिद्धांत में विश्‍वास नहीं करते।

उन्‍होंने कहा, "वह दृढ़ता से लोगों को 'सशक्त' करने, उन्हें यह विकल्प देने कि वे क्या करना चाहते हैं, में विश्‍वास करते हैं, बुनियादी चीजों पर खर्च करते हैं, जो उन्हें यह तय करने की शक्ति देते हैं कि वे कहां रहना चाहते हैं, और उन्हें संसाधनों और आवास, सड़कें, पीने का पानी, शौचालय जैसी जरूरी सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं।”

देश की आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने कहा, "ऐसे बहुत से लोग हैं, जो कहते हैं कि यह तय है कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और हमें इसका श्रेय लेने की जरूरत नहीं है। भारत के लोगों को इसका श्रेय मिलना चाहिए और इस पर गर्व महसूस करना चाहिए। यह भारत के लोग ही हैं जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को 10वें स्थान से पांचवें स्थान पर पहुंचाया और इसे तीसरे स्थान पर भी ले जाएंगे।''

उन्होंने कहा, "यह कहना कि यह एक नियति हो सकती है और इसमें लोगों का कोई प्रयास नहीं है, हमारे उद्यमियों, किसानों और अन्य वर्गों के प्रयासों को कमजोर करना है जो भारत को ऊपर की ओर धकेल रहे हैं।"

निर्मला ने विदेशी निवेश का जिक्र करते हुए ने कहा कि पिछले 23 वर्षों (अप्रैल 2000-मार्च 2023) में देश में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह 919 अरब डॉलर था, जबकि पिछले नौ वर्षों में प्राप्त कुल एफडीआई प्रवाह ( अप्रैल 2014-मार्च 2023) 595.25 अरब डॉलर था, जो पिछले 23 वर्षों में कुल एफडीआई प्रवाह का लगभग 65 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा, "केवल राजनीतिक स्थिरता, नीतिगत स्थिरता और निर्णायकता ही भारत की आर्थिक प्रगति की गारंटी देगी।"


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