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मोदी सरकार किसानों के साथ 'ईस्ट इंडिया कंपनी' की तरह व्यवहार कर रही : कांग्रेस

कांग्रेस ने शनिवार को मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि पांच जून को अध्यादेश के जरिए भाजपा ने तीन केंद्रीय कानूनों को प्रवर्तित कर दिया

मोदी सरकार किसानों के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह व्यवहार कर रही : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि पांच जून को अध्यादेश के जरिए भाजपा ने तीन केंद्रीय कानूनों को प्रवर्तित कर दिया। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा किसानों को गुलाम बनाने के लिए 'ईस्ट इंडिया कंपनी' की तरह व्यवहार कर रही है। एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "पहले मोदी सरकार किसानों का जमीन का अधिग्रहण करने के लिए कानून लेकर आई और अब सरकार किसानों के उत्पाद का अधिग्रहण करने के लिए कानून लेकर आई है।"

सुरजेवाला ने कहा कि किसानों की जमीन और उनके उत्पादों को लेने के लिए तीन कानून लाए गए।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा कॉरपोरेट्स के साथ मिलकर किसानों के उत्पादों को लेने के लिए साजिश रच रही है।

उन्होंने कहा कि 5 जून को तीन केंद्रीय कानून को अध्यादेश के जरिए प्रवर्तित कर दिया गया। ये कानून, किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 हैं, जोकि किसानों के लिए एक बड़ा झटका है।

उन्होंने कहा, "यह कॉरपोरेट्स के ऋण तले किसानों को दबाने की एक साजिश है। यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट दोस्तों के साथ मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह व्यवहार कर रही है।"

सुरजेवाला ने आगे कहा कि मोदी किसानों से यह वादा करके सत्ता में आए थे कि वह किसानों के निवेश का 50 प्रतिशत उन्हें लौटा देंगे, लेकिन वह इन तीन अध्यादेशों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार की मंशा शांता कुमार समिति रिपोर्ट को लागू करने की है। उन्होंने कृषि विशेषज्ञ का हवाला देते हुए कहा, "मोदी सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं देना चाहती है और वह इससे हर साल करीब एक लाख करोड़ रुपये बचाना चाहती है। यह सीधे किसानों को प्रभावित करेगा।"

2015 में प्रकाशित शांता कुमार समिति की रिपोर्ट में अनुशंसा की गई थी कि एफसीआई को गेहूं, धान और चावल की सारी खरीदी प्रक्रिया को राज्यों को सौंप देना चाहिए।


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