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मोदी सरकार ने आम आदमी की जेब पर डाका डालने का काम किया

श्री चौटाला ने कहा कि यह सीमा शुल्क लगाने के बाद सरकार को प्रति वर्ष 39 हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा।

मोदी सरकार ने आम आदमी की जेब पर डाका डालने का काम किया
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चंडीगढ़। केन्द्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर प्रति लीटर तीन रुपए सीमा शुल्क एवं एक रुपया प्रति लीटर सडक़ उपकर लगाये जाने पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद मोदी सरकार ने आम आदमी को राहत देने की बजाय उपरोक्त कर लगाकर उनकी जेबों पर डाका डालने का काम किया है।

उन्होंने आज यहां जारी बयान में कहा कि विश्वस्तर पर कच्चे तेल की कीमतें दिन-ब-दिन घटती जा रही हैं और कोरोना वायरस की वजह से तेल की कीमतों पर विपरीत असर पड़ रहा है। भाजपा सरकार केन्द्र में जब 2014 में आई थी तो उस समय पेट्रोल पर 9.48 रुपए और डीजल पर 3.56 रुपए प्रति लीटर टैक्स था लेकिन नवम्बर 2014 से 2016 तक भाजपा सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर नौ बार टैक्स में वृद्धि की है। इनेलो नेता ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से कच्चे तेल के दामों में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है और वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई है। कच्चे तेल की कीमतें घटने पर आम आदमी को उम्मीद थी कि अब पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आने से राहत मिलेगी। केंद्र सरकार ने आम आदमी को राहत देने की बजाय टैक्स बढ़ाकर खजाना भरने का काम किया है।

श्री चौटाला ने कहा कि यह सीमा शुल्क लगाने के बाद सरकार को प्रति वर्ष 39 हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा। कच्चे तेल की मौजूदा दरों के अनुसार पेट्रोल-डीजल की कीमत लगभग 18 रुपए प्रति लीटर होनी चाहिए लेकिन आज के दिन पेट्रोल 70 रुपए और डीजल 68 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है। इस हिसाब से सरकार पेट्रोल पर 52 रुपए और डीजल पर 45 रुपए प्रति लीटर टैक्स वसूल कर रही है। भाजपा की सरकार को कंपनियों का मुनाफा बढ़ाने की चिंता है । उन्होंने बताया कि यदि डीजल व पेट्रोल की कीमतें बढ़ेंगी तो इसका यातायात उद्योग पर प्रतिकूल असर होगा। यातायात उद्योग की लागत में वृद्धि होगी जिसका सीधा-सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी आएगी और आम आदमी की खरीद फरोख्त करने की क्षमता कम होती जाएगी जिसका सीधा-सीधा असर उद्योगों के उत्पादन पर पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि डीजल की कीमतें बढ़ने से कृषि पर विपरीत असर पड़ेगा। किसान को तो पहले ही धान की खरीद में नमी के नाम से सरकारी अधिकारियों ने जमकर लूटा है और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढऩे के पश्चात कृषि उत्पाद वस्तुओं की उत्पादन लागत बढ़ेगी जिसकी वजह से किसानों पर कर्जे का बोझ बढ़ता जाएगा। इसलिए केंद्र की सरकार पेट्रोल-डीजल कीमतों में की गई वृद्धि को तुरंत वापस ले ।


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