उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने लागू किये कृषि कानून: कांग्रेस
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नीत महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने आज कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार अपने चहेते उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के इरादे से नए कृषि कानून लागू कर एक साजिश के तहत मंडियों को समाप्त करना चाहती है

भागलपुर । बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नीत महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने आज कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार अपने चहेते उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के इरादे से नए कृषि कानून लागू कर एक साजिश के तहत मंडियों को समाप्त करना चाहती है।
युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार रहे ललन कुमार ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार यह तर्क दे रही है कि निजी क्षेत्र के आने से किसानों को लंबे समय में लाभ होगा। यह दीर्घकालिक नीति है तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण बिहार ही है, जहां सरकारी मंडी व्यवस्था वर्ष 2006 में ही समाप्त कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि बिहार में इस व्यवस्था के लागू होने के 14 वर्ष बाद भी निवेश नहीं आ सका, जो इस व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
कांग्रेस नेता ने सवाल करते हुए कहा कि किसानों को क्यों आज सबसे कम दाम पर फसल बेचनी पड़ रही है। बिहार में इस व्यवस्था के लागू होने से कृषि क्रांति आ गई थी तो मजदूरों के पलायन का सबसे दर्दनाक चेहरा यहीं क्यों दिखाई पड़ा। क्यों नहीं बिहार कृषि आय में अग्रणी प्रदेश बन सका। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में बिहार में गेहूं के कुल उत्पादन का एक प्रतिशत ही सरकारी उठाव हो सका। पंजाब में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बिहार में धान को 1210 रुपये क्विंटल तक में खरीदने को तैयार नहीं है। सबसे कम कृषि आय वाले राज्य में आज बिहार अग्रणी है।
कुमार ने कहा कि आज इसी कानून को देश के लिए क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है। कोई एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है, जहां खुले बाजारों ने किसानों को अमीर बनाया हो। सरकार कह रही है कि मंडियों में सुधार के लिए यह कानून लेकर आई है लेकिन सच तो यह है कि इस कानून में कहीं भी मंडियों की समस्याओं के सुधार का उल्लेख तक नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्नदाता कंपकंपाती ठंड में भी अपनी जीविका बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं जबकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के साथ खड़ी है।


