मोदी कैबिनेट विस्तार अश्विनी चौबे-आरके सिंह केंद्र में बने मंत्री
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल पहली बार सांसद बने अश्विनी कुमार चौबे 70 के दशक में जयप्रकाश आंदोलन से राजनीति में सक्रिय रहे और उनका राज्य की राजनीति में गहरा अनुभव

नयी दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल पहली बार सांसद बने अश्विनी कुमार चौबे 70 के दशक में जयप्रकाश आंदोलन से राजनीति में सक्रिय रहे और उनका राज्य की राजनीति में गहरा अनुभव है। बिहार के बक्सर से सांसद बने दो जनवरी 1953 को भागलपुर में जन्मे श्री चौबे बिहार विधानसभा के लिए लगातार पांच बार चुने गए। श्री चौबे 1995 से 2014 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। 2014 के आम चुनाव में वह 16वीं लोकसभा के लिए बक्सर से सांसद बने। आपातकाल के दौरान मीसा के तहत हिरासत में लिए गए। प्राणी विज्ञान (ऑनर्स) से स्नातक श्री चौबे की योग में गहरी रूचि है। वह बिहार सरकार में आठ साल तक स्वास्थ्य, शहरी विकास और जन स्वास्थ्य समेत कई अन्य मंत्रालयों की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा चुके हैं।
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष पद से अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले श्री चौबे 1974 से 1987 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। श्री चौबे को ‘घर-घर में हो शौचालय का निर्माण, तभी होगा लाडली बिटिया का कन्यादान’ का नारा देने का श्रेय श्री चौबे को ही जाता है। बिहार की ब्राह्मण राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले श्री चौबे ने राज्य में दलितों के उत्थान के लिए भी काफी कार्य किया है।
उन्होंने राज्य में महादलित परिवारों के लिए 11 हजार शौचालय बनवाने में अहम भूमिका निभाई। वर्ष 2013 में उत्तराखंड की केदारनाथ की भीषण प्राकृतिक आपदा में अपने परिवार के साथ मुश्किल से जान बचा कर निकले श्री चौबे ने वहां के अनुभव के आधार पर इस त्रासदी पर ‘केदारनाथ त्रासदी’ पुस्तक भी लिखी है। इस त्रासदी में उनके कई परिजनों की जान भी चली गयी थी। श्री चौबे वर्तमान में संसद की ऊर्जा पर प्राक्कलन और स्थायी समिति के सदस्य के साथ-साथ केन्द्रीय रेशम बोर्ड में भी सदस्य हैं।


