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मॉक ड्रिल : संयम और साहस दिखाने का समय

देश में आखिरी बार लगभग साढ़े पांच दशक पहले यानी 1971 में हुई भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान बचाव के सायरन सुनाई दिये थे

मॉक ड्रिल : संयम और साहस दिखाने का समय
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देश में आखिरी बार लगभग साढ़े पांच दशक पहले यानी 1971 में हुई भारत-पाकिस्तान जंग के दौरान बचाव के सायरन सुनाई दिये थे। उसके बाद अब एक बार फिर से यह नौबत आई है। पहलगाम (कश्मीर) के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बैसरन में 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने 26 सैलानियों और एक स्थानीय गाइड की हत्या कर दी थी। इसके कारण देश भर में पाकिस्तान के प्रति नाराज़गी है क्योंकि माना जा रहा है कि दहशतगर्द पाकिस्तानी जमीन से आये थे। जिस आतंकी संगठन ने इस कार्रवाई का जिम्मा अपने सिर पर लिया है उनको पहले से ही पाकिस्तानी सरकार, वहां की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा पोषित समझा जाता है। सरकार भी पाकिस्तान को मज़ा चखाने पर आमादा है तथा देश भी चाहता है कि सरकार कड़े कदम उठाये।

इसे लेकर सर्वदलीय बैठक में देश के सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने सरकार के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है। यह अलग बात है कि बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अनुपस्थित थे। सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर मोदी के लौटने से अपेक्षा थी कि सरकार तत्काल कोई कार्रवाई करेगी। इसके विपरीत मोदी लौटकर बिहार में रैली को सम्बोधित करने चले गये, लेकिन वहां से उन्होंने ऐलान किया कि कायराना करतूत करने वालों को ऐसा कड़ा सबक सिखाया जाएगा जो अब तक नहीं देखा गया था। बाद में मोदी की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हुई बैठकों ने भी आस बंधाई थी कि लोगों का खून व्यर्थ नहीं जायेगा। सोमवार को जब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे तो सरकार समर्थक मीडिया में इसे देश के मोर्चे पर एक कदम आगे जाना कहा गया। हालांकि अब माना जा रहा है कि मोदी के साथ राहुल की यह बैठक केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के नये प्रमुख के चयन को लेकर थी। यहां यह सब बतलाने का तात्पर्य यह है कि देश इस उम्मीद में है कि आतंकियों एवं पाकिस्तान के खिलाफ़ भारत तत्काल और कठोर कार्रवाई करे।

ऐसे में सोमवार को गृह मंत्रालय की ओर से एक परिपत्र जारी हुआ है जिसमें सभी 28 राज्यों के लगभग 250 जिलों के चयनित शहरों एवं 8 केन्द्र शासित प्रदेशों में मॉक ड्रिल करने का निर्देश दिया गया है। इसका उद्देश्य जनसामान्य को हवाई हमलों से बचाव का अभ्यास कराना है। बड़े पैमाने पर होने वाली मॉक ड्रिल यह संदेश भी देती है कि देश और उसकी जनता शारीरिक तथा मानसिक दोनों ही स्तरों पर लड़ाई का सामना करने के लिये तैयार है। यह सरकार की भी तैयारी को दर्शाता है जो एक तरफ़ आक्रमण के लिये खुद को तैयार कर रही है तो वहीं दूसरी ओर अपने नागरिकों के बचाव के प्रति भी चिंतित है। आशा की जानी चाहिये कि जिन शहरों में युद्धाभ्यास होगा, वहां के नागरिक गम्भीरतापूर्वक इसमें हिस्सा लेंगे। श्रेणीवार तीन तरह के शहरों को इसके लिये चयनित किया गया है लेकिन इस प्रदर्शन से उन शहरों के लोग भी लाभान्वित होंगे जिनका मॉक ड्रिल के लिये इस बार चयन नहीं किया गया है। आखिरकार युद्ध में कोई नहीं कह सकता कि दुश्मन किस शहर को अपने निशाने पर लेगा। 1971 में भी ऐसी सावधानी बरती गयी थी जब जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल राज्यों के अनेक सीमावर्ती जिलों के कई शहरों में लोगों को ब्लैकआऊट में रहने का अभ्यास कराया गया था। इससे दहशत खत्म हुई थी तथा बतौर नागरिक लोगों ने भारत-पाक युद्ध का सामना बहादुरी से किया था।

अब बुधवार को होने वाले मॉक ड्रिल में ब्लैक आऊट होगा, सायरन बजेंगे तथा लोगों द्वारा खुद की सुरक्षा का अभ्यास होगा। उन्हें आपातकालीन शेल्टरों में जाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशासन को वेबसाइटों तथा सोशल मिडिया पर नज़र रखने के लिये कहा गया है। इस दौरान फोटोग्राफी, वीडियो आदि बनाने व उन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड करने से बचना होगा। वैसे गृह मंत्रालय ने कहा है कि लोगों में दहशत न हो इसके लिये ज़रूरी है कि वे इसके बारे में पहले से जानें। बुधवार की शाम को देश भर में एक साथ बजने वाले सायरन को लोगों को प्रतिसाद देना होगा क्योंकि यह जो कुछ भी कवायद हो रही है वह नागरिकों की सुरक्षा के लिये ही है। इसे गम्भीरता से लेना होगा। शत्रु देश की ओर से एयर स्ट्राइक होने पर सायरन के संकेतों को समझना और उसके अनुरूप व्यवहार करना होगा। इस दौरान कोई भी प्रकाश न हो तथा चयनित शहरों में पूरी तरह से अंधकार रहे। इसका उद्देश्य शत्रु के लड़ाकू विमानों की नज़रों से खुद को बचाना होता है। इस दौरान खिड़की-दरवाजों को पूरी तरह से बन्द रखा जाये तथा टॉर्च, नगदी, प्राथमिक उपचार की व्यवस्था कर रखी जाये। टीवी, रेडियो या मोबाइल से प्रशासन द्वारा दिये जाने वाले निर्देशों को जानते रहना ज़रूरी है।

शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राऊत ने भी कहा है कि 'देश को 1971 के मॉक ड्रिल का अनुभव है। सरकार यदि यह करती है तो देश इसके लिये तैयार है।' भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देशवासियों से अपील की है कि वे मॉक ड्रिल में हिस्सा लें। बुधवार के इस नागरिक अभ्यास से संदेश जायेगा कि देश तैयार है।
लेकिन इस बड़ी तैयारी के साथ यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि युद्ध के नाम पर अनावश्यक उन्माद न फैले, न ही इस पर कोई सनसनी कायम की जाए। यह समय संयम और साहस का परिचय देने का है।


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