उपेक्षा का शिकार हुआ एमएमआर पीजी कॉलेज
एमएमआर कॉलेज पूरी तरह शासन की उपेक्षा का शिकार

चांपा। एमएमआर कॉलेज पूरी तरह शासन की उपेक्षा का शिकार है। यही वजह है कि बीते दो दशक में यहां एक भी नया कोर्स प्रारंभ नहीं हो सका है। इसके कारण यहां करीब आधा दर्जन पीजी कोर्स जुगाड़ में चल रहा है। इसके लिए छात्रों को अलग से शुल्क देना पड़ रहा है। कॉलेज प्रबंधन लगातार नया कोर्स प्रारंभ कराने की मांग करते आ रहा है, लेकिन इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
चांपा का एमएमआर पीजी कॉलेज कई मायने में महत्वपूर्ण है। अभी यहां करीब दो हजार छात्र.छात्रा अध्ययनरत हैं। इनमें से 70 फीसदी विद्यार्थी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। इस कॉलेज की समस्या को लेकर जिस तरह उच्च शिक्षा विभाग और शासन ने अपनी आंखे बंद कर ली है, उससे खासकर छात्रों में निराशा है। बताया जाता है बीस साल पहले एमए इतिहास कोर्स स्वीकृत हुई थी। इसके बाद अब तक कोई कोर्स शुरू नहीं हुई, जबकि अन्य कॉलेज में कई कोर्स शुरू हो गई है। अभी यहां जनभागीदारी से एमएससी कैमेस्ट्री, एमएससी फिजिक्स, एमएसडब्ल्यूए एमए इंग्लिश, पीजीडीसीए संचालित है लेकिन इनके लिए छात्रों को अलग से मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है। उल्लेखनीय है कि जिले का यही पहला ऐसा कॉलेज है जिसका दो बार नैक से मूल्यांकन हुआ है।
इस कॉलेज को बी ग्रेड का दर्जा मिला है। इसके बावजूद यहां समस्याओं का अंबार है। जब तक इन समस्याओं का निराकरण नहीं किया जाता तब तक छात्र-छात्रा इसी तरह अभावों में तालीम लेने मजबूर हैं।


