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मिशन लोकसभा : 303 से 370 पहुंचने के लिए इन राज्यों पर है भाजपा की खास नजर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भाजपा इस बार के लोकसभा चुनाव में अकेले 370 सीट और एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ मिलकर 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए चुनाव की तैयारी कर रही है

मिशन लोकसभा : 303 से 370 पहुंचने के लिए इन राज्यों पर है भाजपा की खास नजर
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भाजपा इस बार के लोकसभा चुनाव में अकेले 370 सीट और एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ मिलकर 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए चुनाव की तैयारी कर रही है।

पार्टी अब तक अपने लोकसभा उम्मीदवारों की दो सूची जारी कर चुकी है। लोकसभा उम्मीदवारों की दोनों लिस्ट मिलाकर भाजपा अब तक अपने 267 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुकी है।

वर्ष 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 436 सीटों पर चुनाव लड़कर 37.7 प्रतिशत मत के साथ अकेले 303 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, एनडीए गठबंधन को 2019 में 45 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।

ऐसे में भाजपा को इस बार 370 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पिछले चुनाव के मुकाबले 67 लोकसभा सीटों पर और जीत हासिल करनी पड़ेगी। भाजपा ने इसका ब्लूप्रिंट भी तैयार कर लिया है। भाजपा इस बार के लोकसभा चुनाव में देश के हर बूथ पर पिछले चुनाव के मुकाबले 370 से ज्यादा वोट हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है।

पार्टी की योजना है कि युवा मतदाता खासकर फर्स्ट टाइम वोटर्स, गरीब खासकर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे लाभार्थियों के साथ-साथ महिलाओं और किसानों में पार्टी का प्रभाव बढ़ाकर 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार अकेले 10 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किया जाए यानी भाजपा 2019 के चुनाव में मिले 37.7 प्रतिशत मत को इस बार 48 प्रतिशत तक पहुंचाना चाहती है।

पार्टी की रणनीति का सबसे बड़ा आधार और चुनाव प्रचार अभियान का केंद्र बिंदु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता है। वैसे तो भाजपा देश के सभी राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में जुटी हुई है। लेकिन, 303 से 370 तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा और पंजाब पर पार्टी की खास नजर बनी हुई है। वहीं, भाजपा इस बार झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी लोकसभा की सभी सीटें जीतने की कोशिश कर रही है।

भाजपा को इस बार सीट बढ़ोतरी की सबसे ज्यादा उम्मीद उत्तर प्रदेश से है। उत्तर प्रदेश में 2019 में भाजपा प्रदेश की 80 में से 78 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 2 सीटें सहयोगी अपना दल (एस) को दी थी। सपा-बसपा गठबंधन के कारण पिछले चुनाव में भाजपा को अकेले 62 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि, बाद में हुए उपचुनाव में भाजपा ने सपा से आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट छीन ली। पार्टी को यह उम्मीद है कि इस बार वह उत्तर प्रदेश में जीत का नया रिकॉर्ड बना सकती है।

पश्चिम बंगाल में 2019 में भाजपा ने राज्य की सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़कर 40.64 प्रतिशत मत के साथ 18 सीटें जीती थी। हारी हुई 24 लोकसभा सीटों पर भाजपा इस बार नए दमखम और रणनीति के साथ तैयारी कर रही है। पार्टी को यह लगता है कि संदेशखाली और शाहजहां शेख के मामले में ममता बनर्जी पूरी तरह से एक्सपोज हो गई हैं और राज्य की जनता इस बार पूरी तरह से भाजपा का साथ देगी।

वहीं, ओडिशा में 2019 के लोकसभा चुनाव में 38.88 प्रतिशत वोट के साथ 8 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस बार इस राज्य में भी सीटों की संख्या बढ़ने को लेकर आश्वस्त है। पार्टी सूत्रों की मानें तो बीजू जनता दल के साथ बातचीत अंतिम दौर में पहुंच गई है। ओडिशा में भाजपा और एनडीए गठबंधन दोनों को बड़ा लाभ होने जा रहा है।

आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण के एनडीए गठबंधन में शामिल होने के कारण इस बार भाजपा को दक्षिण भारत के इस राज्य से भी काफी उम्मीदें हैं। आंध्र प्रदेश में टीडीपी 17, भाजपा 6 और जनसेना पार्टी 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पिछले चुनाव में आंध्र प्रदेश में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाने वाली भाजपा इस बार अपने कोटे की 6 सीटों को लेकर बहुत उत्साहित है।

भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में केरल में 13 प्रतिशत और तमिलनाडु में 3.62 प्रतिशत मिले थे। लेकिन, यह सीटों में कन्वर्ट नहीं हो पाया था। पार्टी को लगता है कि इस बार लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर एक साथ होने और केरल में अलग-अलग लड़ने का नकारात्मक संदेश राज्य की जनता में जा रहा है। वहीं, पिछले कुछ दिनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के पार्टी में शामिल होने और ईसाई समुदाय के प्रभावशाली व्यक्तियों के पार्टी के साथ जुड़ने के कारण भी भाजपा राज्य में मजबूत होती नजर आ रही है।

वहीं, तमिलनाडु में एआईएडीएमके के दो खेमों में बंट जाने और सनातन आस्था को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके के नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयानों से राज्य की जनता में गुस्सा बढ़ रहा है। पार्टी की योजना अपने एक मजबूत राष्ट्रीय नेता को तमिलनाडु से लोकसभा चुनाव लड़ाने की भी है। तेलंगाना में पिछले चुनाव में 19.65 प्रतिशत वोट के साथ भाजपा के खाते में राज्य की 17 में से 4 लोकसभा सीट आई थी। विधानसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस द्वारा हाल ही में राज्य में सरकार बना लेने के बाद अब भाजपा को यह उम्मीद है कि वह राज्य में बीआरएस को पछाड़कर आगे बढ़ सकती है।

पंजाब में लंबे समय तक अकाली दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली भाजपा को पिछली बार 3 सीटों पर लड़कर 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लेकिन, इस बार पार्टी राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर पूरी ताकत के साथ तैयारी कर रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ और परनीत कौर जैसे नेताओं के आने से राज्य में भाजपा का जनाधार भी बढ़ा है।

भाजपा को 2019 में झारखंड की 14 में से 11, छत्तीसगढ़ की 11 में से 9 और मध्य प्रदेश की 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। पार्टी इस बार इन तीनों राज्यों में सभी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।


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