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महिलाओं के सहारे झारखंड-महाराष्ट्र में चुनाव जीतने की कोशिश

कर्नाटक और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में महिलाओं को हर महीने आर्थिक मदद दी जाती है. एमपी की 'लाड़ली बहना योजना' ने इस ट्रेंड को मजबूत किया है. अब झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी ये रणनीति आजमायी जा रही है

महिलाओं के सहारे झारखंड-महाराष्ट्र में चुनाव जीतने की कोशिश
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कर्नाटक और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में महिलाओं को हर महीने आर्थिक मदद दी जाती है. एमपी की 'लाड़ली बहना योजना' ने इस ट्रेंड को मजबूत किया है. अब झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी ये रणनीति आजमायी जा रही है.

पिछले साल के नवंबर महीने की बात है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. इन चुनावों को लोकसभा चुनावों के सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा था. नेता और कार्यकर्ता जमकर प्रचार कर रहे थे. वहीं, पत्रकार और सर्वे एजेंसियों के कर्मचारी जनता का रुख भांपने की कोशिश कर रहे थे. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस दोनों ही इन चुनावों में जीत हासिल कर लोकसभा चुनाव से पहले अपनी स्थिति मजबूत कर लेना चाहते थे.

महाराष्ट्र, झारखंड विधानसभा चुनाव: गठबंधनों में किन सीटों पर नहीं बनी बात

ओपिनियन पोल में कांग्रेस को मध्य प्रदेश (एमपी) और छत्तीसगढ़ में बढ़त हासिल हो रही थी. एमपी में कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनावों में भी जीत हासिल कर चुकी थी लेकिन विधायकों के पार्टी बदलने की वजह से सरकार गिर गई थी. इसलिए यहां पार्टी की उम्मीदें काफी ज्यादा थीं. राज्य में एक चरण में 17 नवंबर को मतदान हुआ. एग्जिट पोल में भी बीजेपी-कांग्रेस के बीच करीबी मुकाबला होने की बात कही गई. लेकिन तीन दिसंबर को आए नतीजों ने सभी को चौंका दिया.

बीजेपी ने मध्य प्रदेश की 230 में से 163 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया. वहीं, कांग्रेस सिर्फ 66 सीटों पर सिमट गई. चुनाव बाद हुए विश्लेषणों में बीजेपी की इस जीत का बड़ा श्रेय ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना' को दिया गया. इस योजना के तहत 21 से 60 साल की पात्र महिलाओं को हर महीने हजार रुपए मिलते थे, जिन्हें बाद में बढ़ाकर 1,250 कर दिया गया. तब जानकारों ने माना था कि इस योजना ने महिलाओं को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने में बड़ी भूमिका निभाई.

झारखंड में भी अपनाया जा रहा यही फॉर्मूला

झारखंड में जारी विधानसभा चुनाव के अंतर्गत 13 नवंबर को पहले चरण की वोटिंग हुई और 20 नवंबर को दूसरा और आखिरी चरण का मतदान होना है. राज्य में फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसी साल अगस्त में ‘मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना' की शुरुआत की है. इसके तहत, राज्य की 21 से 50 साल तक की सभी पात्र महिलाओं के बैंक अकांउट में हर महीने एक हजार रुपए भेजे जाते हैं. वहीं 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं हर महीने एक हजार रुपए पेंशन पाने की हकदार होती हैं.

सत्ताधारी गठबंधन ने वादा किया है कि दोबारा सरकार बनने पर महिलाओं को दी जाने वाली सहायता राशि एक हजार से बढ़ाकर 2,500 कर दी जाएगी. इसके जवाब में विपक्ष में बैठी बीजेपी ने ‘गोगो दीदी योजना' लाने का वादा किया है. इसके तहत झारखंड की सभी महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपए दिए जाएंगे. बीजेपी के लिए यह योजना इतनी अहम है कि उसने इसे अपने घोषणा पत्र में सबसे आगे जगह दी है.

महाराष्ट्र में 2,100 और तीन हजार के बीच मुकाबला

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक चरण में विधानसभा चुनाव होंगे. राज्य में फिलहाल महायुति गठबंधन की सरकार है, जिसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. महायुति गठबंधन को लोकसभा चुनावों में खास सफलता नहीं मिली थी. उसे 48 में से 17 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी. इसके बाद अगस्त में राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना' शुरू की. इसके तहत, राज्य की 21 से 65 साल तक की सभी पात्र महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपए दिए जाते हैं.

महायुति ने वादा किया है कि विधानसभा चुनाव जीतने पर इस राशि को 1,500 से बढ़ाकर 2,100 रुपए कर दिया जाएगा. साथ ही बुजुर्ग नागरिकों को मिलने वाली आर्थिक मदद भी 1,500 से बढ़ाकर 2,100 रुपए कर दी जाएगी. इसके जवाब में विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने राज्य की महिलाओं को हर महीने तीन हजार रुपए देने का वादा किया है. माना जा रहा है कि विपक्ष महिलाओं को यह विश्वास दिलाना चाहता है कि उनकी सरकार बनने पर भी महिलाओं के बैंक खाते में हर महीने रुपए आते रहेंगे.

कर्नाटक-तेलंगाना में कांग्रेस को मिला था फायदा

कर्नाटक राज्य में मई 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इन चुनावों से पहले कांग्रेस ने जनता से पांच बड़े वादे किए थे. इनमें से एक यह था कि सरकार बनने पर सभी परिवारों की महिला मुखियाओं को हर महीने दो हजार रुपए दिए जाएंगे. इन चुनावों में कांग्रेस ने बड़े अंतर के साथ जीत हासिल की. इसके बाद नवंबर 2023 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव हुए. इस बार कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपए देने का वादा किया. यहां भी इसका फायदा मिला और कांग्रेस ने 119 में से 64 सीटें जीतकर सरकार बनाई.

हालांकि, राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का यह दांव नहीं चला. यहां कांग्रेस ने सभी घरों की महिला मुखियाओं को हर साल दस हजार रुपए की आर्थिक मदद देने का वादा किया था. लेकिन यहां पार्टी 199 में से 69 सीटें ही जीत पाई. वहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिला. यहां पार्टी ने प्रत्येक विवाहित महिला को हर साल 12 हजार रुपए की आर्थिक मदद देने का वादा किया था. यहां बीजेपी ने 90 में से 54 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था.

महिलाओं के लिए आवंटित हो रहे करोड़ों रुपए

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के खाते में सीधे रकम पहुंचाने वाली योजनाओं का बजट दो लाख करोड़ के पार चला गया है. आठ राज्यों में चल रहीं इन योजनाओं की लागत 2.11 लाख करोड़ रुपए है. इन योजनाओं के लिए हुआ बजट आवंटन, इन राज्यों को प्राप्त होने वाले राजस्व का तीन से 11 फीसदी तक है. उदाहरण के लिए कर्नाटक की गृह लक्ष्मी योजना के लिए 28,608 करोड़ रुपए आवंटित किए गए. वहीं, राज्य की राजस्व प्राप्ति दो लाख 63 हजार करोड़ रुपए है. यानी प्राप्त राजस्व का 11 फीसदी हिस्सा गृह लक्ष्मी योजना के लिए आवंटित किया गया है.

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इसी तरह महाराष्ट्र में ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना' के लिए बजट आवंटन 46 हजार करोड़ रुपए है. यह कुल राजस्व प्राप्ति का नौ फीसदी है. एमपी में चल रही मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के लिए करीब 19 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. यह कुल राजस्व प्राप्ति का सात फीसदी है. दिल्ली में ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना' के लिए दो हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो प्राप्त राजस्व का तीन फीसदी है. रिपोर्ट के अनुसार, इन योजनाओं से उपभोग और खर्च को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

एक्सिस बैंक ने भी जुलाई में इस ट्रेंड पर एक रिपोर्ट जारी की थी. उसके मुताबिक, देश की 16 फीसदी व्यस्क महिलाओं को राज्य सरकारों से आर्थिक मदद मिल रही है. लगभग 11 करोड़ महिलाएं इसके दायरे में आती हैं. महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले ऐसी योजनाएं शुरू की गईं, वहीं तेलंगाना और कर्नाटक में नई सरकारों के गठन के बाद इनकी शुरुआत हुई. इनके अलावा आंध्र प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु में भी ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं, दिल्ली में ऐसी योजना शुरू करने की घोषणा की जा चुकी है.


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