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भारतीय सेना ने मनाया 77वां पुंछ लिंक अप दिवस, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

भारतीय सेना ने शुक्रवार को 77वां पुंछ लिंक अप दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर भारतीय सेना की पुंछ ब्रिगेड के कमांडर मुदित महाजन, 25 इन्फैंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल कौशिक मुखर्जी, एसएसपी पुंछ शफीकत बट्ट और डीसी पुंछ विकास कुंडल ने नमन स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और पुष्प चक्र चढ़ाए

भारतीय सेना ने मनाया 77वां पुंछ लिंक अप दिवस, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
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पुंछ। भारतीय सेना ने शुक्रवार को 77वां पुंछ लिंक अप दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर भारतीय सेना की पुंछ ब्रिगेड के कमांडर मुदित महाजन, 25 इन्फैंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल कौशिक मुखर्जी, एसएसपी पुंछ शफीकत बट्ट और डीसी पुंछ विकास कुंडल ने नमन स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और पुष्प चक्र चढ़ाए। इसके बाद जीओसी ने पूर्व सैनिकों से भी मुलाकात की।

पुंछ लिंक अप दिवस हर साल 22 नवम्बर को मनाया जाता है। भारतीय सेना के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है, यह दिन उस समय की याद दिलाता है, जब 22 नवम्बर 1948 को पुंछ क्षेत्र को पाकिस्तानी सेना और कबाइलियों के कब्जे से मुक्त कराया गया था। भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने 15 महीने तक चले कठिन संघर्ष में अपने प्राणों का बलिदान दिया था, जिससे पुंछ क्षेत्र आजाद हुआ। इस दिन का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता हासिल की थी, लेकिन पुंछ को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था।

आईएएनएस से बात करते हुए रिटायर्ड ऑनरेरी कैप्टन और अशोक चक्र विजेता मोहम्मद सादिक ने कहा कि यह वह दिन है, जब 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान के अंग्रेजों से आजाद होने के बाद 22 नवंबर 1948 को पुंछ को आजादी मिली थी। हम इसे 1947 में देश को मिली आजादी से भी ज्यादा अहमियत देते हैं। हम चाहते हैं कि लोग पुंछ की कहानी को याद रखें, क्योंकि पुंछ अंग्रेजों के समय में भी कभी गुलाम नहीं रहा। हम जब तक जिंदा रहेंगे शान से रहेंगे, गुलामी हमें किसी की भी मंजूर नहीं।

पाकिस्तान की ओर से की जा रही नापाक हरकतों पर सवाल किए जाने पर उन्होंने पाकिस्तान को बच्चा बताते हुए कहा कि वह बच्चे की तरह हरकतें करता है। वह एक छोटे बच्चे की तरह कहता है कि हम ये करेंगे, वो करेंगे। वह अब छोटी-मोटी हरकतें करने से बाज नहीं आएगा। अब उसके पास कुछ नहीं बचा है, उसके यहां आटा नहीं, दाने खत्म हो चुके हैं। वह अब हाथ-पैर मारकर चाहता है कि किसी से कुछ मिल जाए।


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