'झारखंड बंद' का मामूली असर
प्रदेश में कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए 'कुर्मी विकास मोर्चा' द्वारा सोमवार को बुलाए गए 'झारखंड बंद' का मामूली असर देखने को मिला

रांची। प्रदेश में कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए 'कुर्मी विकास मोर्चा' द्वारा सोमवार को बुलाए गए 'झारखंड बंद' का मामूली असर देखने को मिला। झारखंड में कुर्मी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आते हैं। कुर्मी समाज आरक्षण में लाभ पाने के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा चाहता है।
झारखंड में अनुसूचित जनजाति के लिए 27 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए नौ फीसदी तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14 फीसदी आरक्षण है।
रांची, हजारीबाग और बोकारो जैसे शहरों में बंद का कोई असर नहीं दिखा। इस दौरान स्कूल खुले रहे और यातायात सामान्य रहा।
हालांकि, बंद का समर्थन करने वालों ने रांची-पटना राजमार्ग तथा रांची-पतरातू राजमार्ग को कुछ घंटों तक अवरुद्ध रखा।कुछ स्थानों पर बंद समर्थकों ने गाड़ियों के टायर जलाए तथा रेल यातायात बाधित कर दिया।
कुर्मी विकास मोर्चा के अध्यक्ष ने बंद को सफल बताते हुए कहा, "सभी दलों ने कुर्मियों का इस्तेमाल वोट बैंक की तरह किया है। 2019 के आम चुनाव में कुर्मी अपना वोट सिर्फ उसे देंगे, जो कुर्मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का आश्वासन देगा।"


