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गांवों में स्टार्ट-अप के लिए स्किल डेवेलपमेंट और ग्रामीण विकास मंत्रालय आए एक साथ

भारत के गांव भी अब स्टार्ट-अप से जुड़ सकेंगे। गांवों के गैर-कृषि क्षेत्रों उद्यमों को एक विशेष प्रयास के जरिए स्टार्ट-अप से जोड़ा जाएगा

गांवों में स्टार्ट-अप के लिए स्किल डेवेलपमेंट और ग्रामीण विकास मंत्रालय आए एक साथ
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नई दिल्ली। भारत के गांव भी अब स्टार्ट-अप से जुड़ सकेंगे। गांवों के गैर-कृषि क्षेत्रों उद्यमों को एक विशेष प्रयास के जरिए स्टार्ट-अप से जोड़ा जाएगा। राष्ट्रीय उद्यमिता संस्थान इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और ग्रामीण विकास मंत्रालय को मदद भी करेगा। भारत के गांवों में उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए ग्रामीणों को विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी संगठन राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसबीयूडी) ने स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम (एसवीईपी) पहल के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ समझौता किया है।

एसवीईपी, ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित होने वाले दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) का उप-घटक है। इसका उद्देश्य गैर-कृषि सेक्टर में ग्रामीण स्तर पर उद्यम स्थापित करने के लिये ग्रामीण इलाकों के उद्यमियों का समर्थन करना है। उपरोक्त साझेदारी से ग्रामीण समुदाय को सक्षम बनाने में मदद मिलेगी, ताकि वे अपने कारोबार स्थापित कर सकें। साथ ही कारोबार स्थापित होने तक उन्हें पूरा समर्थन दिया जायेगा। इस सटीक अंतक्षेप से जन सामान्य को जानकारी, सलाह और वित्तीय समर्थन मिलेगा तथा गांवों में समुदाय स्तर पर संगठित लोगों का दल बनाने में मदद मिलेगी।

साझेदारी के अंतर्गत ग्रामीण उद्यमियों को अपने कारोबार शुरू करने के सम्बंध में वित्तीय समर्थन हासिल करने के लिये बैंकिंग प्रणाली तक पहुंच मिल जायेगी। इसमें मुद्रा बैंक का समर्थन भी शामिल है। एकीकृत आईसीटी तकनीकों और उपकरणों से क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण मिलेगा। इसके तहत देश के गांवों में उद्यमशीलता इको-सिस्टम को बढ़ाने के लिये उपक्रम सलाहकार सेवायें भी दी जायेंगी। परियोजना के लाभार्थियों में डीएवाई-एनआरएलए का स्वसहायता समूह इको-सिस्टम से सम्बंधित हैं। योजना न सिर्फ मौजूदा उद्यमों की, बल्कि नये उद्यमों की भी सहायता करती है।

उपरोक्त साझेदारी पर कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उद्गार हैं कि भारतीयों को रोजगार खोजने वाले की बजाय रोजगार देने वाला बनने का स्वप्न देखना चाहिये। इस संदर्भ में एसवीईपी सामुदायिक स्तर पर नवोन्मेषी ईको-सिस्टम की रचना करने, आर्थिक तथा सामाजिक अर्जन में तेजी लाने में मदद करेगा।

उन्होंने बताया कि योजना का लक्ष्य आवश्यक वित्तीय समर्थन सहित समान अवसर प्रदान करके एक समावेशी समाज की रचना करना है। अग्रवाल ने कहा कि भारत अवसरों की भूमि है और इन संभावनाओं तक अपने युवाओं की पहुंच बनाकर, हम उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस साझेदारी से ग्रामीण समुदाय को प्रशिक्षित करने में सहायता मिलेगी और उन्हें अपनी आय बढ़ाने से जुड़ी उद्यमशीलता के लिये आवश्यक संसाधन मिलेंगे। साथ ही आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा।


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