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कोविड-19 पर विदेश मंत्रालय ने तैयार किया बड़ा डाटा बेस

सरकार ने कोरोना विषाणु (कोविड-19) की महामारी से बचने के लिए प्रयासों से विश्व भर में होने वाले विभिन्न प्रयासों के आंकड़ों के माध्यम से एक बड़ा डाटा बेस तैयार किया है ...............

कोविड-19 पर विदेश मंत्रालय ने तैयार किया बड़ा डाटा बेस
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नयी दिल्ली । सरकार ने कोरोना विषाणु (कोविड-19) की महामारी से बचने के लिए प्रयासों से विश्व भर में होने वाले विभिन्न प्रयासों के आंकड़ों के माध्यम से एक बड़ा डाटा बेस तैयार किया है जिससे देश में कोविड 19 से मुकाबले में काफी मदद मिल रही है।

कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए जारी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बारे में चर्चा करते हुए विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने यहां बताया कि विदेश मंत्रालय के अधीन 16 मार्च को गठित इस कोविड-19 प्रकोष्ठ ने 15 दिन के भीतर दुनिया भर में इस महामारी से निपटने के उपायों को लेकर विभिन्न देशों से विभिन्न स्रोतों से बड़े पैमाने पर आंकड़े इकट्ठे किये हैं जो वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सीय शोधों, उपचार के तरीकों, उपकरणों एवं सामग्री की उपलब्धता आदि के बारे में हैं। इससे एक बड़ा डाटा बेस तैयार हुआ है जो भारत में कोविड-19 से मुकाबले के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है।

एक सवाल के जवाब में सूत्रों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के मिशन के तहत हाल में निर्यात की गयी सामग्री वाणिज्य मंत्रालय द्वारा घोषित निर्यात प्रतिबंधित सामग्री सूची में दर्ज सामग्रियों में शामिल नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिबंधित सूची की सामग्री के बारे वाणिज्य मंत्रालय को विशेष मामलों में निर्यात की अनुमति देने का अधिकार होता है। सूत्रों ने यह भी बनाया कि भारत में वेंटीलेटर, सर्जिकल मास्क, पर्सलन प्रोटेक्शन इक्विप्मेंट (पीपीई) किट आदि की कमी है और सरकार इनको अपने मिशनों के माध्यम से, जहां भी उपलब्ध हों, वहां से हासिल करने की नीति पर काम कर रही है। चीन से ऐसे सामान खरीदने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चीन से दो प्रकार से सामग्री आ रही है। एक दान के रूप में और दूसरे वाणिज्यिक आधार पर। इसे लेकर कोई शर्त नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्थापित पीएम केयर्स कोष में विदेश से दान स्वीकारने के बारे में सूत्रों ने बताया कि सरकार ने व्यक्तिगत एवं संस्थागत सहित विदेशी दानदाताओं के आग्रह को देखते हुए उनसे दान स्वीकार करने का फैसला किया है।

सूत्रों के अनुसार भारत ने विदेश मंत्रालय में कोविड-19 प्रकोष्ठ का गठन किया है जो मुख्य रूप से तीन स्तरीय रणनीति पर काम कर रहा है। पहला स्तर विदेशों में फंसे भारतीय लोगों को बाहर निकालने के प्रयास हैं और दूसरा स्तर द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से कोरोना वायरस से निपटने के बारे कारगर एवं प्रभावी उपायों को जानना है। तीसरे स्तर पर कोविड 19 के लिए सातों दिन चौबीसों घंटे काम करने वाली हेल्पलाइन खोलना है। इस प्रकोष्ठ की कमान विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव दामू रवि के हाथ में हैं और 75 अधिकारी इस टीम में जी-जान से जुटे हैं।

सूत्रों ने बताया कि सरकार की कोविड-19 से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस, संयुक्त अरब अमीरात और फ्रांस सहित नौ देशों के शासनाध्यक्षों एवं यूरोपीय संघ के अध्यक्ष से बात की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने भी अपने अपने समकक्षों से बातचीत का सिलसिला कायम रखा है। सूत्रों ने यह भी बताया कि डॉ. एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से चर्चा में अमेरिका में फंसे भारतीयों की वीसा अवधि बढ़ाने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने यह भी बताया कि श्री पोम्पियो ने काबुल में गुरुद्वारे पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है।

सूत्रों ने बताया कि भारत ने अब तक करीब 2500 भारतीयों को चीन ईरान और इटली से निकाला है। इसके अलावा 1600 अन्य भारतीयों को उनके ट्रांसिट हवाई अड्डे से निकालने में मदद की है। इसी प्रकार से विभिन्न विदेशी मिशनों के अनुरोध पर करीब 10 हजार विदेशी नागरिकों को भी स्वदेश भेजने में मदद की गयी है।

तब्लीगी मरकज़ के जलसे में बड़ी संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के पाये जाने को लेकर एक सवाल के जवाब में सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय की एजेंसियां इस पर समुचित कार्रवाई कर रही हैं और यदि विदेश मंत्रालय से किसी प्रकार के कदम उठाने को कहा जाएगा तो वे कदम उठाये जाएंगे।


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