'आरसीईपी में किसानों के हितों की रक्षा से वाणिज्य मंत्रालय को किया आगाह'
आरसीईपी के तहत मुक्त व्यापार करार में डेरी उत्पाद को शामिल करने के मसले पर केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने भी वाणिज्य मंत्रालय से किसानों के हितों के प्रति आगाह किया है

नई दिल्ली। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के तहत मुक्त व्यापार करार में डेरी उत्पाद को शामिल करने के मसले पर केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने भी वाणिज्य मंत्रालय से किसानों के हितों के प्रति आगाह किया है। पशुपालन एवं डेरी मंत्रालय के एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि आरसीईपी में डेरी उत्पाद को शामिल करने के प्रस्ताव पर विभिन्न डेरी संगठनों ने आपत्ति जताई है जिससे वाणिज्य मंत्रालय को अवगत करा दिया गया है।
सूत्र ने बताया, "अमूल समेत अन्य डेरी उत्पादकों के संगठनों ने डेरी उत्पादों को आरसीईपी के दायरे से अलग रखने की मांग की है, जिससे वाणिज्य मंत्रालय को अवगत करा दिया गया है। अब इस मसले पर वाणिज्य मंत्रालय फैसला लेगा।"
इससे पहले केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आईएएनएस को बताया था कि आरसीईसी के मसले पर उन्होंने अपने विचार से वाणिज्य मंत्रालय को अवगत करा दिया है।
तोमर ने कहा, "हमारे लिए देश के किसानों का हित सर्वोपरि है और हमने आरसीईपी के मसले पर अपने विचार से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को अवगत करा दिया है।"
उन्होंने कहा, "हमारी कोशिश रहती है कि हमारे उत्पादों को किसी अन्य देशों के उत्पादों से नुकसान न हो।"
आरसीईपी में भारत के अलावा आसियान के 10 सदस्य देशों के साथ-साथ जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
डेरी उत्पादकों को आशंका है कि डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल किए जाने से आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयात शुल्क मुक्त दूध का पॉउडर व अन्य दुग्ध उत्पाद भारत आएगा, जो काफी सस्ता होगा। इससे देश के डेरी उत्पादकों व किसानों को नुकसान होगा।
स्वेदशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने पिछले दिनों आईएएनएस को बताया कि देश में इस समय दूध उत्पादक किसानों को दूध से औसतन 28-30 रुपये प्रति लीटर दाम मिल रहा है, लेकिन न्यूजीलैंड से सस्ता दूध का पॉउडर व अन्य उत्पाद आने से उनको दूध पर यह भाव भी नहीं मिल पाएगा।
महाजन ने कहा कि यह देशभर के करोड़ों किसानों के हितों का सवाल है, इसलिए सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
वहीं, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष दिलीप रथ का कहना कि डेरी उत्पादों को आरसीईपी में शामिल किए जाने से दूध का उत्पादन करने वाले देश के 6.5 करोड़ पशुपालक किसान प्रभावित होंगे।


