चीनी की न्यनूतम दर पर्याप्त नहीं : उद्योग संगठन
देश के प्रमुख चीनी उद्योग संगठनों ने सरकार द्वारा बुधवार को तय किए गए चीनी के एक्स मिल रेट को नाकाफी बताया और कहा कि इससे घरेलू बाजार में चीनी के दाम में कोई सुधार नहीं होगा

नई दिल्ली। देश के प्रमुख चीनी उद्योग संगठनों ने सरकार द्वारा बुधवार को तय किए गए चीनी के एक्स मिल रेट को नाकाफी बताया और कहा कि इससे घरेलू बाजार में चीनी के दाम में कोई सुधार नहीं होगा। निजी चीनी मिलों का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने आईएएनएस को जारी अपने एक बयान में कहा, "हम चीनी मिलों और गन्ना किसानों की मदद के लिए आज मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करते हैं। मगर, निर्धारित की गई न्यूनतम एक्स मिल बिक्री दर 29 रुपये प्रति किलो पर्याप्त नहीं है क्योंकि इससे गóो के लाभकारी मूल्य भारत में मौजूदा 10.8 फीसदी की रिकवरी पर 290 रुपये प्रति कुंटल की भरपाई नहीं हो पाएगी। हालांकि मौजूदा एक्स मिल रेट 28 रुपये प्रति किलो के मुकाबले जरूर बढ़ोतरी होगी।" इस्मा महानिदेशक ने महा कि चीनी की औसत लागत 35 रुपये प्रति किलो पड़ती है।
वहीं, नेशनल फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रेसिडेंट दिलीप वल्से ने भी कहा कि चीनी का न्यूनतम मूल्य (एक्स मिल रेट) 29 रुपये प्रति किलो संतोषप्रद नहीं है। उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "जहां 35 रुपये प्रति किलोग्राम औसत लागत है वहां हम उम्मीद कर रहे थे कि सरकार 32 रुपये प्रति किलोग्राम चीनी की न्यूनतम कीमत तय कर सकती है।"
सरकार द्वारा चीनी मिलों व गन्ना उत्पादकों की मदद के लिए घोषित राहत पैकेज को भी अर्याप्त बताया और कहा कि जहां 22,000 करोड़ रुपये किसानों का बकाया है वहां सरकार द्वारा घोषित मौजूदा पैकेज बहुत कम है। हालांकि उन्होंने कहा, "मैं मंडिमंडल के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हूं।" मगर उन्होंने गóो पर मौजूदा अनुदान 55 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 110 रुपये प्रति टन करने की मांग की और कहा कि वह चीनी निर्यात बढ़ाकर 80 लाख टन करने को लेकर किसी फैसले की उम्मीद कर रहे थे।
दिलीप वल्से ने कहा कि 30 लाख टन बफर स्टॉक के संबंध में फैक्टरी के अनुसार, स्टॉक, ब्याज दर, बीमा और रखरखाव खर्च का विवरण समय पर दिया जाना जाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को चीनी मिलों के लिए 70 अरब के राहत पैकेज को मंजूरी प्रदान की गई। मंत्रिमंडल ने एक साल के लिए 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने का फैसला लिया, जिसपर सरकार का अनुमानित खर्च 1175 करोड़ रुपये होगा।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग हालांकि चीनी के बाजार मूल्य और चीनी उपलब्धता के आधार पर इसकी समीक्षा कभी भी कर सकती है।


