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मप्र में प्रवासी श्रमिक आयोग गठित

मध्यप्रदेश में प्रवासी मजदूरों को रोजगार के साथ बेहतर सुविधाएं सुलभ कराने के मकसद से मध्यप्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग गठित करने का ऐलान किया गया है

मप्र में प्रवासी श्रमिक आयोग गठित
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भोपाल। मध्यप्रदेश में प्रवासी मजदूरों को रोजगार के साथ बेहतर सुविधाएं सुलभ कराने के मकसद से मध्यप्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग गठित करने का ऐलान किया गया है। इस आयोग का कार्यकाल 2 साल का होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को आयोग गठित करने का ऐलान करते हुए कहा कि कोरोना संकट काल में प्रदेश लौटे हर मजदूर भाई-बहन को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार दिलवाने व उनके परिवार के कल्याण तथा विकास के लि मध्यप्रदेश प्रतिबद्ध है और इसी उद्देश्य से 'मध्यप्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग' का गठन किया गया है।

उन्होंने कहा, "श्रमिकों की आजीविका प्रदेश में ही इतनी सुगम बनाएंगे कि उन्हें दोबारा आजीविका के लिए दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"

मुख्यमंत्री चौहान की घोषणा अनुसार, श्रम विभाग द्वारा शुक्रवार को आयोग के गठन के आदेश जारी कर दिए गए। आयोग का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। आयोग का अध्यक्ष राज्य शासन द्वारा नामांकित व्यक्ति होगा।

राज्य शासन ने आयोग के कत्र्तव्य एवं उद्देश्य निर्धारित किए हैं। आयोग को राज्य के प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को करने के लिए आवश्यक सिफारिशें प्रस्तुत करना होंगी। आयोग सदस्यों से या अन्य व्यक्तियों, संगठनों, विभागों, मंडलों आदि से आवश्यक परामर्श करते हुए राज्य शासन को अपने सुझाव, अनुशंसाएं एवं सिफारिशें प्रस्तुत करेगा। इसमें प्रवासी श्रमिकों के कल्याण, रोजगार के अवसरों के सृजन तथा प्रवासी श्रमिकों एवं उनके परिवार के कौशल विकास और हित संरक्षण के लिए प्रचलित कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन शामिल है।

इसी के साथ आयोग प्रवासी श्रमिकों एवं उनके परिवार को राज्य की प्रचलित सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाओं में लाभ प्रदान करने की तथा प्रवासी श्रमिकों के हित में कोई अन्य अनुशंसा कर सकेगा।

आयोग में राज्य शासन द्वारा नामांकित दो सदस्य होंगे। श्रम विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि आयोग का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश राज्य होगा। इसके अंतर्गत ऐसे प्रवासी श्रमिक, जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं, जो अन्य राज्य में श्रमिक के रूप में कार्य कर रहे थे और एक मार्च, 2020 या उसके बाद मध्यप्रदेश वापस लौटे हैं, आएंगे।

ऐसे श्रमिकों को राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं और राज्य या केंद्र के अधिनियमों में हितलाभ दिया जाएगा।


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