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आधी रात हाथियों की चिंघाड़, रिहायशी इलाके की ओर बढ़ने से दहशत

जंगल से होते-होते हाथियों का दल नगर निगम की सीमा से लगे गांवों में दस्तक दे चुका है

आधी रात हाथियों की चिंघाड़, रिहायशी इलाके की ओर बढ़ने से दहशत
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कोरबा। जंगल से होते-होते हाथियों का दल नगर निगम की सीमा से लगे गांवों में दस्तक दे चुका है। रिहायशी क्षेत्रों के आसपास हाथियों की मौजूदगी से खतरा और बढ़ गया है। सोमवार की आधी रात के बाद हाथियों की चिंघाड़ से झगरहा और इसके आसपास के रहवासी भयभीत हो उठे।

शहर से बमुश्किल 1 किमी दूर हाथियों के पहुंच जाने से इनके रिहायशी इलाके में घुसने का भय लोगों के मन घर कर गया है। समय रहते हाथियों को इस क्षेत्र दूर नहीं भेजा गया तो रिहायशी क्षेत्र में इनकी धमक हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो हालात को संभालना वन अमले के लिए काफी कठिन हो जाएगा।

मौजूदा समय में हाथियों का दल दंतैल सहित ग्राम भुलसीडीह के आसपास विचरण करता देखा गया। वन अधिकारियों के मुताबिक सोमवार की रात हाथियों का दल लगभग 75 की संख्या में कोरकोमा मार्ग से होते हुए भुलसीडीह की ओर पहुंचा। देर रात झगरहा में प्रस्तावित हाउसिंग बोर्ड परियोजना क्षेत्र के आसपास हाथियों की मौजूदगी देखी गई। हाथियों के होने की खबर से रिस्दी चौक से होकर कोरकोमा, रजगामार की ओर जाने वालों में भय समाया रहा।

मंगलवार की दोपहर हाथियों के द्वारा सड़क को पार कर दूसरी ओर जंगल में इस मार्ग से आने जाने वालों ने प्रत्यक्ष रूप से देखा। सूचना पर अलर्ट वन अमला क्षेत्र में मौजूद रहा। भुलसीडीह के जंगल में सड़क किनारे हाथियों के होने की सूचना पर यहां वन कर्मियों ने तैनात होकर लोगों को आगे बढ़ने से रोका। हाथियों का दल जब इस पार से उस पार के जंगल सड़क पार कर पहुंचा, तब आवागमन को सामान्य कराया गया। स्थानीय लोगों सहित वन अमला इस क्षेत्र के आसपास लगातार नजर बनाए हुए है ताकि हाथी शहर की ओर न घुस सकें। वन अमला हाथियों को खदेड़ने भुलसीडीह में डटा रहा।

समाचार लिखे जाने तक भुलसीडीह से हाथियों का दल बालको की ओर आगे बढ़ गया। चूंकि हाथी जिस रास्ते से आते हैं, वापस लौटने के लिए उसी रास्ते का उपयोग करते हैं तब ऐसे में हाथियों के इस दल की वापसी को लेकर तरह-तरह की शंकाये लोगों के मन में घर कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि कोरबा वनमंडल के अंतर्गत कोरबा, करतला, कुदमुरा, पसरखेत आदि वन परिक्षेत्र और इससे लगे गांवों के लोग हाथियों के उत्पात से काफी परेशान हो रहे हैं।

हाथियों को खदेड़ने अथवा उन्हें जंगल से निकलकर गांव तक पहुंचने से रोकने के लिए किसी भी तरह का प्रबंध न होने और सिर्फ योजनाएं बनाने से ग्रामवासी हलाकान हैं। हाथियों के द्वारा फसलों के साथ-साथ घरों को भी क्षतिग्रस्त किए जाने से दोहरा मार ग्रामीणों पर पड़ रहा है। इन दिनों जबकि फसल पक कर तैयार है और काटने की आवश्यकता बनी हुई है, ऐसे में किसान खेतों में जाने से कतरा रहे हैं।

डॉ. महंत ने प्रभावित ग्रामीणों की ली बैठक

पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. चरणदास महंत ने सोमवार को कोरबा विकासखंड एवं विधानसभा रामपुर के अंतर्गत आने वाले ग्राम बासीन में चौपाल लगाकर हाथी प्रभावित किसानों से मुलाकात की। डॉ. महंत ने सरकार की योजनाओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राज्य सरकार गरीब जनता और किसानों के साथ धोखा कर रही है।

हाथियों का उत्पात लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन इसे रोकने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है। ग्रामीणों ने धान फसल का मुआवजा 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर देने एवं हाथी के हमले से मौत पर 30 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग रखी। इस दौरान डॉं. महंत के साथ बड़ी संख्या में कांगे्रसजन भी उपस्थित थे।



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