सौर ऊर्जा से 50 मेगावाट बिजली पैदा करेगी मेट्रो
जो यूएनएफसीसीसी में स्मॉल स्केल कैटेगरी की श्रेणी में पंजीकृत है, जिसमें 15 किलोवाट की क्षमता से कम सोलर ऊर्जा तैयार होती है।

नई दिल्ली । जो यूएनएफसीसीसी में स्मॉल स्केल कैटेगरी की श्रेणी में पंजीकृत है, जिसमें 15 किलोवाट की क्षमता से कम सोलर ऊर्जा तैयार होती है। दिल्ली मेट्रो अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली मेट्रो परिसर के छत पर 14.983 मेगावॉट-पीक क्षमता के सोलर प्लांट लगाए गए हैं, जो प्रति वर्ष 19.687 मेगावॉट-घंटा की ऊर्जा पैदा करते हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली मेट्रो के स्टेशन, डिपो, सब-स्टेशन व आवासीय कॉलोनियों को 31 ग्रिड से जोड़ते हुए सोलर ऊर्जा प्लांट को चिन्हित किया गया था। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में 18,506 सीईआर बनाने का लक्ष्य था, हालांकि अभी बने हुए सीईआर की ठीक संख्या पता करने के लिए अगले वर्ष के मध्य में ऑडिट करवाया जाएगा। हालांकि दिल्ली मेट्रो ने रिकार्ड समय में यूएनएफसीसीसी में अपने प्रोजेक्ट के लिए पंजीकरण करवाया था, क्योंकि अधिकारी शुरूआती दिनों में मई माह को पंजीकरण का लक्ष्य मान रहे थे।
दिल्ली मेट्रो ने क्लाईमेट चेंज के लिए अपना यह पांचवा प्रोजेक्ट पंजीकृत करवाया है, तो वहीं दो अन्य प्रोजेक्ट पंजीकरण के लिए कतारबद्घ हैं। बता दें कि दिल्ली मेट्रो इससे पहले यूनाइटेड नेशन्स द्वारा प्रदूषण नियंत्रण में सहयोग के लिए चिन्हित की जा चुकी है क्योंकि मेट्रो 6.3 लाख टन कार्बन को हवा में जाने से रोकर ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में सहयोग करती है।
दिल्ली मेट्रो को दो श्रेणियों में रजिस्टर्ड किया गया है इसमें पहला साफ सुथरा तंत्र विकसित करने के लिए व दूसरा कार्बन क्रेडिट जुटाने के लिए आधुनिक ब्रेक व मॉडल शिफ्ट। अब दिल्ली मेट्रो सौर ऊर्जा नीति के साथ अधिक से अधिक सौर ऊर्जा के प्रयोग पर बल दे रही है और लक्ष्य रखा है कि वह 50 मेगावाट बिजली की खपत 2021 तक कम कर सके। मेट्रो स्टेशनों, डिपो, आवासीय इकाइयों व पार्किंग सहित उन स्थानों का बेहतर प्रयोग करना चाहती है जहां अभी सौर ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं हैं।


