भारत के नए-नए अमीरों पर है मर्सिडीज की नजर, कार के लिए छह महीने तक का इंतजार
भारत में मर्सिडीज के चार हजार से ज्यादा ऑर्डर का बैकलॉग हो गया है. लोग छह महीने से ज्यादा इंतजार कर रहे हैं.

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इस रिपोर्ट के अनुसार बीते साल भारत में ऐसे परिवारों की संख्या 11 प्रतिशत बढ़कर 4 लाख 58 हजार पर पहुंच गई थी, जिनकी संपत्ति कम से कम एक मिलियन डॉलर यानी करीब साढ़े सात करोड़ रुपये है. रिपोर्ट कहती है कि आने वाले पांच साल में ऐसे परिवारों की संख्या में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की संभावना है.
कारों के मामले में अब तक भारत को कीमत-आधारित बाजार माना जाता है. यानी कहा जाता है कि भारत में छोटी और कम कीमत की कारें ज्यादा बिकती हैं. देश में एक साल में लगभग 30 लाख कारें बिकती हैं जिनमें से लग्जरी कारों की संख्या करीब एक प्रतिशत होती है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. 2021 में मर्सिडीज की बिक्री में 40 फीसदी की वृद्धि हुई. उसने 11,242 कारें बेचीं. हालांकि इस वृद्धि की एक वजह 2020 की महामारी भी थी, जिस कारण उस साल 7,893 कारें ही बिकी थीं. 2018 में उसने 15,500 कारें बेची थीं.
सस्ती कारों का जमाना गया
मर्सिडीज के लिए खुशी की बात यह है कि उसकी सबसे महंगी कारों जैसे कि जीएलएस, एस-क्लास और जीएलएस मेबाख आदि की बिक्री 80 प्रतिशत बढ़ी है. ये सभी कारें एक करोड़ रुपये से ज्यादा की कीमत वाली हैं.
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श्वेंक कहते हैं कि महामारी के कारण उनकी बिक्री बढ़ी क्योंकि तब ज्यादा लोगों ने अपनी खुशी के लिए खर्च किया, लेकिन भारत के बाजार ने बड़ी संभावनाएं दिखाई हैं और पिछले छह-आठ साल से जो कमी देखी जा रही थी, उसके गुजर जाने का वक्त आ रहा है. इस लहर पर सवार होने के लिए मर्सिडीज भारत में इस साल दस नए मॉडल पेश कर रही है, जिनमें स्थानीय कारखाने में जोड़ी गई इलेक्ट्रिक कार ईक्यूज भी शामिल है.
जाटो के भारत में अध्यक्ष रवि भाटिया कहते हैं कि मर्सिडीज की सबसे महंगी कारों की बिक्री का बढ़ना देश के धन का प्रतीक है. वह बताते हैं, "अमीर और अमीर हो रहे हैं. उनमें से कुछ लोग अपना लाइफस्टाइल भी और बेहतर कर रहे हैं.”


