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मेनका बाल यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने में आयु सीमा हटाने की पक्षधर

मेनका ने रविशंकर को पत्र लिखकर बाल यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज कराने में आयु सीमा हटाने को कहा और साथ ही नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज कराने की समयावधि की कानूनी स्थिति पर सफाई मांगी है

मेनका बाल यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने में आयु सीमा हटाने की पक्षधर
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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सोमवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर बाल यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज कराने में आयु सीमा हटाने को कहा और साथ ही नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज कराने की समयावधि की कानूनी स्थिति पर सफाई मांगी है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री गांधी ने ट्वीट किया, "मैंने हमारे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह बाल यौन उत्पीड़न के मामलों में लागू समयावधि पर कानून की स्थिति स्पष्ट करें। हमने हमारे विचार व्यक्त किए हैं कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को किसी भी वक्त शिकायत दर्ज कराने की मंजूरी दी जाए।"

सीआरपीसी की धारा 468 के तहत बाल उत्पीड़न समेत किसी तरह के अपराध को घटना के तीन वर्षो के भीतर दर्ज कराना होता है, जिसके लिए तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है।

हाल ही में मेनका गांधी ने प्रस्ताव दिया है कि बाल उत्पीड़न के मामले में पीड़ित को 30 साल की उम्र तक शिकायत दर्ज कराने की इजाजत दी जानी चाहिए।

गांधी ने जिक्र किया कि बाल यौन उत्पीड़न बहुत ही दर्दनाक अनुभव होता है और अधिकतर आरोपी पीड़ितों के जानने वाले रिश्तेदार या परिचित होते हैं, जिससे अपराध के बारे में शिकायत दर्ज कराना मुश्किल हो जाता है।

उन्होंने कहा, "लोगों ने अब आगे आकर बचपन में उनके साथ हुए उत्पीड़न के बारे में बोलना शुरू कर दिया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है। बतौर समाज यह हमारे लिए बहुत जरूरी है, ताकि हम पीड़ितों के साथ खड़े हों और महिला पीड़ितों को चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और परामर्श संबंधित सहायता सहित कई प्रकार की सेवाओं तक पहुंच प्रदान की जा सके।"


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