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सदस्य नियम एवं प्रक्रिया के तहत अपनी बात रखे-बिड़ला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने लोकसभा एवं विधानसभा सदस्यों को नियम एवं प्रक्रिया के तहत अपनी बात रखने पर जोर देते कहा है

सदस्य नियम एवं प्रक्रिया के तहत अपनी बात रखे-बिड़ला
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जयपुर । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने लोकसभा एवं विधानसभा सदस्यों को नियम एवं प्रक्रिया के तहत अपनी बात रखने पर जोर देते कहा है कि वे आसन के सामने नहीं आये तथा तथ्यों के आधार पर ही आरोप लगाये।

बिड़ला ने आज यहां विधानसभा में विधानसभा सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम में कहा कि सदन की मर्यादा जरुरी है तथा सदस्यों को नियम-प्रक्रिया के तहत अपनी बात रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आसन के सामने आकर व्यवधान कर अपनी पहचान बनाने वाले नेताओं के जमाने लद गये है तथा उसी को आगे बढने का अवसर मिलेगा जो जनता की बात मर्यादित तरीके से सदन में रखते है।

उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय विपक्षी सदसयों के संशोधनों पर भी विचार किया जाना चाहिए ताकि कानून मजबूत बने। उन्होंने कहा कि संसदीय समितियों को मजबूत बनाया जाना चाहिए ताकि सबको अपनी बात रखने का हक मिले। उन्होंने कहा कि यह देखा गया कि संसदीय समितियों में कोई काम नहीं होता, सदस्य केवल हाजिरी लगाते है। उन्होंने कहा कि मेरे विधानसभा के अनुभव एवं कई परम्पराओं को मैंने लोकसभा में भी लागू करने का प्रयास किया। कई परम्परायें शीर्ष स्तर पर होती है जिन्हें नजीर के तौर देखा जाता है।

उन्होंने कहा कि सदन में सदस्य जितना समय बितायेंगे उतना ही प्रदेश की समस्याओं का पता चलेगा। लोकसभा एवं विधानसभा जितनी ज्यादा चलेगी एवं उतनी सरकार पारदर्शी रहेगी। जितने प्रश्न पूछे जायेंगे मंत्री को अपना कामकाज सुधारने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा में शून्यकाल में बीस सदस्य बोलते थे, उन्हें मैंने नब्बे प्रतिशत कर दिया। शून्य काल में उठाये जाने वाले प्रश्न भी ऑनलाईन कर दिये गये। अब सदस्य ऑनलाइन ही प्रश्न पूछ सकता है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रबोधन कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इसे सदस्य नियम प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर सकते है तथा सदन में अपना विषय रख सकते है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ की राय के अलग मायने होते है तथा उनकी राय के सदस्य कृतत्व एवं व्यक्तित्व को सुधार सकते है। इस मौके विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि लोकसभा नवाचारों का विधानसभा को भी लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायिका का मुख्य काम कानून बनाना है जिस पर ज्यादा से ज्यादा समय दिया जाना चाहिए।


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