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विधानसभा चुनाव से पहले त्रिपुरा ट्राइबल पार्टी की मेगा रैली

त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, प्रभावशाली आदिवासी आधारित पार्टी- तिपराहा इंडीजेनस प्रोग्रेसिव रीजनल एलायंस (टीआईपीआरए) की अगरतला में शनिवार को हुई मेगा रैली का भाजपा शासित राज्य के राजनीतिक पटल पर खासा असर पड़ने की उम्मीद है

विधानसभा चुनाव से पहले त्रिपुरा ट्राइबल पार्टी की मेगा रैली
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अगरतला। त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, प्रभावशाली आदिवासी आधारित पार्टी- तिपराहा इंडीजेनस प्रोग्रेसिव रीजनल एलायंस (टीआईपीआरए) की अगरतला में शनिवार को हुई मेगा रैली का भाजपा शासित राज्य के राजनीतिक पटल पर खासा असर पड़ने की उम्मीद है। पूर्व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन के नेतृत्व में टीआईपीआरए के सभी नेताओं ने अपने भाषणों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्‍सवादी (सीपीआई-एम) की राज्य के 13 लाख आदिवासियों को पिछड़ा और गरीब रखने के लिए कड़ी आलोचना की।

भावनात्मक रूप से देब बर्मन ने कहा कि वह आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए मर जाएंगे लेकिन किसी भी पार्टी द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह कहते हुए कि फरवरी (2023) में विधानसभा चुनाव एक आखिरी लड़ाई होंगी, उन्होंने दावा किया कि त्रिपुरा में कानून-व्यवस्था नहीं है और राज्य में लोकतंत्र चरमरा गया है।

टीआईपीआरए सुप्रीमो ने कहा, "सभी आदिवासी परिवारों को भूमि अधिकार दिए जाएंगे। मैं आदिवासियों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करूंगा।"

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले नौकरियों का झूठा वादा किया था और युवाओं से कहा था कि अगर वह अपने मोबाइल फोन से मिस-कॉल करेंगे, तो उन्हें सरकारी नौकरी मिल जाएगी।

त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के उप मुख्य कार्यकारी सदस्य (टीटीएएडीसी) अनिमेष देबबर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों के सर्वागीण विकास के लिए स्वायत्त निकाय को देय धन नहीं दे रही है। माकपा ने स्वदेशी लोगों की रक्षा के लिए इनर लाइन परमिट शुरू करने का वादा किया था, लेकिन वाम दल ने 35 साल तक राज्य पर शासन करने के बावजूद अपना वादा पूरा नहीं किया।

देबबर्मा ने कहा, "नोआखली दंगा (1946 में) के दौरान आदिवासियों ने त्रिपुरा में बंगालियों को शरण दी थी। आदिवासी सांप्रदायिक नहीं हैं। हम टीटीएएडीसी के लिए अधिक शक्ति और अधिक धन चाहते हैं। टीआईपीआरए की 'ग्रेटर टिपरालैंड' मांग का जिक्र करते हुए आदिवासी नेता ने कहा कि इस मांग का उद्देश्य बंगालियों या किसी अन्य गैर-आदिवासी समुदाय को नुकसान पहुंचाना नहीं है।"

भारत के फुटबॉलर और सिक्किम के स्थानीय राजनीतिक दल भाईचुंग भूटिया के प्रमुख ने भी रैली को संबोधित किया और कहा कि केवल क्षेत्रीय दल ही स्वदेशी लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है।

पिछले साल से एक भाजपा विधायक बरबा मोहन त्रिपुरा और तीन विधायक- मेवर कुमार जमातिया, बृशकेतु देबबर्मा और भाजपा के सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के धनंजय त्रिपुरा टीआईपीआरए में शामिल हुए हैं। मेवर कुमार जमातिया भाजपा-आईपीएफटी सरकार में वन एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री रह चुके हैं। यानी टीआईपीआरए की सियासी ताकत लगातर बढ़ती जा रही है।


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