मेडिकल कॉलेज में इलाज में फिर लापरवाही
सरगुजा संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेडिकल कालेज अस्पताल में डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा सामने आया है

अंबिकापुर। सरगुजा संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेडिकल कालेज अस्पताल में डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा सामने आया है। पिछले चार दिन से घायल बच्चे को सही तरीके से इलाज नहीं किया जा रहा है। ना ही उसकी सुध ली जा रही है। बच्चा चार दिन से बेड पर पड़ा हुआ है। मां-बाप डॉक्टर-नर्स के पास इलाज के लिए फरियाद लगाकर थक चुके हैं।
इसके बावजूद एक भी डॉक्टर बच्चे को देखने तक नहीं पहुंचा। इलाज नहीं मिलने के कारण बच्चे का पेट भी धीरे.धीरे फूल रहा है। इससे परिजनों को अनहोनी की आशंका भी सताने लगी है। दरअसल मैनपाट में 5 साल के बच्चे का 8 अप्रैल को गाड़ी की टक्कर से हाथ टूट गया था। उसके बाद से जिला अस्पताल सरगुजा में भर्ती कराया था।
भर्ती के चार दिन होने के बाद भी कोई डॉक्टर इलाज के लिए देखने तक नहीं पहुंचा जिसके बाद अपताल के रवईये से तंग परिजनों ने मीडिया कर्मियों को देख अपनी आप बीती सुनाईए मामले की नजाकत को देखते हुए मीडिया कर्मियों ने आमले में हस्ताक्षेप किया और ड्यूटी पर तैनात नर्स को डाक्टर बुलाने को कहाए लेकिन बेशर्मी की चादर ओढ़े बैठे अस्पताल की नर्स ने कहा की जब तक आप लोग खड़े रहेंगे मैं मरीज को नहीं देखूंगी, लिहाजा अपस्ताल की नर्स के इस अटपटे से जवाब के बाद हमने अस्पताल के जिम्मेदार आरएमओ डॉ. श्रीवास्तव को फोन लगाया जिस पर पहले तो डाक्टर साहब ने कहा की मैं दिखवाता हूँ पर जब उनसे यह निवेदन किया गया की साहब आप फोन कर देते क्योकी बच्चे का पेट फूल रहा तो डाक्टर साहब ने मीडिया कर्मी को ही यह नसीहत दे डाली की नर्स को बोलिए ड्यूटी डाक्टर को बुला देंगी और नर्स थी की कुछ करने को तैयार नहीं थी।
बहरहाल इसी बीच में वहां कांग्रेस नेता और समाजसेवी बाबू सिंह पहुँच गए और उन्होंने भी अपस्ताल स्टाफ ने निवेदन किया लेकिन इतने के बाद भी जब बच्चे को देखने को डाक्टर नहीं पंहुचा तब जिले की कलेक्टर किरण कौशल को फोन पर जानकारी दी गई।
जानकारी लगते ही कलेक्टर ने तुरंत संज्ञान लिया और कुछ ही देर में ड्यूटी डाक्टर वार्ड में पहुँच गई और बच्चे का इलाज शुरू हो सका, लेकिन सवाल यह है की जिस अस्पताल को चमन बनाने के लिए राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, उस अपस्ताल में इतनी संवेदनहीनता, यह कोई वाक्या नहीं यह इंसानी जीवन की वह शर्मनाक त:स्वीर है जिससे शायद हम और आप रोज रू.ब.रू होते हैं, लेकिन सबा कुछ देख कर भी खामोश रहते है।
यही कारण है की अम्बिकापुर के मेडिकल कालेज अस्पताल के लापरवाह स्टाफ लापरवाही की उस हद तक पहुँच चुके हैं जहां मानवीय संवेदना ख़त्म हो जाती है।


