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मेधा पाटकर ने सत्याग्रह शुरू​​​​​​​ किया

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर पानी का भराव किए जाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के कई गांव डूबने लगे हैं, हजारों परिवार अब भी अपने घरों में हैं, क्योंकि उनका उचित पुनर्वास नहीं हुआ है

मेधा पाटकर ने सत्याग्रह शुरू​​​​​​​ किया
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बड़वानी (मप्र)। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर पानी का भराव किए जाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के कई गांव डूबने लगे हैं, हजारों परिवार अब भी अपने घरों में हैं, क्योंकि उनका उचित पुनर्वास नहीं हुआ है।

इसी को लेकर शुक्रवार दोपहर से छोटा-बड़का गांव में नर्मदा नदी के घाट पर मेधा पाटकर करीब 50 महिलाओं के साथ सत्याग्रह पर बैठ गई हैं। सरदार सरोवर के बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के 192 गांव और एक नगर डूब में आने वाला है, पुनर्वास न होने से अब भी हजारों परिवार घरों में हैं, पानी उनके घरों में घुस रहा है।

लिहाजा, लोगों में आक्रोश है और वे जलसमाधि तक की जिद पर अड़े हैं। शुक्रवार को अंजड़ गांव में प्रभावितों ने प्रदर्शन किया और उसके बाद मुंडन कराया।

मेधा ने आईएएनएस से कहा कि वे अपने सहयोगियों के साथ शुक्रवार दोपहर से 24 घंटे के सत्याग्रह पर बैठी हैं, जिस घाट पर उनका सत्याग्रह शुरू हुआ है, उसकी 16 सीढ़ियां डूब चुकी हैं और वे 17वीं सीढ़ी पर बैठी हैं। शनिवार दोपहर तक वे देखेंगी कि सरकार की ओर से क्या जवाब आता है, उसके बाद अगली रणनीति का ऐलान करेंगी।

उन्होंने कहा कि नर्मदा में ऊपरी बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि इन बांधों में पर्याप्त पानी नहीं है। किसान पानी को तरस रहा है और मध्यप्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के जन्मदिन जश्न के लिए बांधों से पानी छोड़ रही है। इसके चलते घाटी के निचले इलाके के गांव डूब रहे हैं।

मेधा का आरोप है कि फर्जी आंकड़े और झूठे दस्तावेज तैयार कर मध्यप्रदेश सरकार ने प्रभावितों के साथ छल किया है, न्यायालय के निर्देशों को नहीं माना है। डूब में आ रहे प्रभावितों को न तो उचित मुआवजा मिला है, और न ही बेहतर पुनर्वास के इंतजाम किए गए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि गांव के गांव डूबने के करीब हैं, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौन धारण किए हुए हैं। वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी गलत बयानी कर रहे हैं। गुजरात में नहरें बनी नहीं हैं, रूपाणी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर सरदार सरोवर के गेट खोलेंगे।

मेधा का कहना है कि ऐसा होगा तो आंदोलनकारी उसका स्वागत करेंगे। मगर सच्चाई यह है कि गुजरात के मुख्यमंत्री को बांध के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।


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