Top
Begin typing your search above and press return to search.

मेधा पाटकर ने नई रेत नीति को नदियों के लिए बड़ा खतरा बताया

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई रेत नीति को नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने नदियों के लिए बड़ा खतरा करार दिया

मेधा पाटकर ने नई रेत नीति को नदियों के लिए बड़ा खतरा बताया
X

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई रेत नीति को नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने नदियों के लिए बड़ा खतरा करार देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह रेत नीति नहीं, बल्कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए 'वोट नीति' है। मेधा ने यहां गांधी भवन में मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, "सरकार ने नदियों के रेत खनन का अधिकार पंचायतों को दे दिया है। इससे माफियाओं के पौ बारह हो जाएंगे, क्योंकि सरपचों पर खनन कराने का दबाव होगा, वे विरोध करेंगे तो हत्या तक जैसे अपराध आम हो जाएंगे।"

सरकार के मंत्रियों के बयानों का हवाला देते हुए मेधा ने कहा, "एक मंत्री ने कहा है कि '125 रुपये की पंचायत से रसीद कटवाइए और नदी से रेत ले जाइए।' अब पंचायत के पास यह संसाधन तो है नहीं कि वह इसका परीक्षण कर सके कि वाहन में कितनी रेत ले जाई जा रही है, रेत का क्या उपयोग होगा। इसके साथ ही नदी से रेत निकलना चाहिए अथवा नहीं, इसका वैज्ञानिक परीक्षण भी पंचायतों के लिए संभव नहीं है।"

मेधा ने शिवराज की नर्मदा सेवा यात्रा पर भी सवाल उठाए और कहा, "उन्होंने इस यात्रा के दौरान जो-जो घोषणाएं की थीं, उसके ठीक उलट है यह रेत नीति। यह नीति रेत माफियाओं के दबाव में और राजस्व बढ़ाने के मकसद से लाई गई है। अब लगने लगा है कि चौहान की सेवा यात्रा नहीं, वह तो सर्वे यात्रा थी।"

उन्होंने आगे कहा, "इस नीति का मुख्य मकसद आगामी विधानसभा चुनाव है। शिवराज रेत के कारोबार में पंचायतों को हिस्सेदार बनाकर लाभ और कमाई का मौका देना चाहते हैं, जिससे उन्हें वोट का लाभ हो सके।"

मेधा ने सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा पूर्व में जारी किए गए आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने दोनों संवैधानिक संस्थाओं के निर्देशों को दरकिनार कर नई रेत नीति बना डाली है।

उन्होंने आगे कहा, "यह नीति किसान, मजदूर, मछुआरे से लेकर अन्य लोगों के लिए गंभीर संकट पैदा करने वाली है। वहीं सरकार की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान नदी, खेती और प्रकृति पर जीने वाले समाज एवं पूरे मानव समाज के जीने के अधिकार के प्रति उनकी संवेदनहीनता दर्शाती है।"


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it