राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में एमबीबीएस की होगी पढ़ाई
शहरवासियों को चिकित्सा के लिए दिल्ली या नोएडा के उच्च संस्थानों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी

ग्रेटर नोएडा। शहरवासियों को चिकित्सा के लिए दिल्ली या नोएडा के उच्च संस्थानों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रदेश सरकार के पेश बजट में शहर के कासना स्थित राजकीय आर्युविज्ञान संस्थान में सौ सीटों पर वर्ष 2018-19 सत्र में एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रावधान कर दिया है।
हालांकि, अभी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सर्वे और उसकी हरी झंडी आना बाकी है। बसपा शासनकाल में मायावती के गृह जनपद में 900 करोड़ की लागत से इसका निर्माण किया गया था। बाद में वर्ष 2013 अप्रैल में सपा सरकार में 12 चिकित्सकों से इसकी वाह्य ओपीडी शुरू हुई थी। जिसमें जनरल मेडिसिन, गायनाकोलॉजी, हड्डी रोग समेत दस मेडिकल ओपीडी शुरू हुईं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की खस्ता हालत और पिछले पांच वर्षों में मेडिकल कॉलेज बनने की राह में संसाधन न जुटने पर इतने बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का सही ढंग से उपयोग नहीं हो पा रहा था। प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद इसे शुरू करने की तेजी से कवायद हुई।
सरकार से पूर्व में ही हरी झंडी मिलने पर वर्तमान में मौजूद निदेशिका डॉ. संगीता अनेजा ने मेडिकल कॉलेज की तैयारियां शुरू कर दी थीं। मेडिकल कॉलेज के लिए करीब 250 डॉक्टरों की फैकल्टी का चयन किया जा रहा है। जिसमें विभागध्यक्ष, प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर समेत इमरजेंसी के लिए डॉक्टरों को नियुक्त किया जाना है। कॉलेज के लिए लगातार नियुक्तियों के साक्षात्कार भी हो रहे हैं। अभी तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ही इसकी ओपीडी, डॉक्टरों-स्टॉफ का वेतन और दवाओं का खर्च वहन करता था। अब देखना है कि प्रदेश सरकार से मेडिकल कॉलेज का बजट जारी होने के बाद इसका खर्च कौन वहन करेगा। जबकि प्राधिकरण कई बार इसका खर्च वहन न कर पाने की जानकारी प्रदेश शासन को भेज चुका है।
प्रदेश सरकार के बजट का शहरवासियों ने किया स्वागत
घाटे के बजट के बावजूद भी दैनिक उपयोभग की वस्तुओं पर कोई टैक्स वृद्धि नहीं करने का डॉ. आनन्द आर्य ने स्वागत किया है। ग्रेटर नोएडा को एम्स को एमबीबीएस की सौ सीटें देने का भी स्वागत किया। वहीं जनपद में एक उत्पाद को प्रोत्साहित करने में जनपद में गारमेंट उत्पाद का प्रोत्साहित कराने की योजना राहत भरी रही।
एनसीआर में मेट्रो के लिए पांच सौ करोड़ की राशि कम बताते हुए एक हजार करने की मांग की गई है, किसानों के लिए खाद के लिए सौ करोड़ रुपया अपर्याप्त बताया। पांच लाख बेघर गरीबों को आवास दिलाने की योजन यदि क्रियान्वित होगी राहत भरी योजना सिद्ध होगी।


