महापौर और एमआईसी ने दिया शिक्षाकर्मियों को समर्थन
संविलियन, समान काम का समान वेतन सहित 9 मांगों के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे शिक्षाकर्मी पंचायत संवर्ग को नगर पालिक निगम की महापौर एवं एमआईसी सदस्यों ने अपना समर्थन दिया

कोरबा। संविलियन, समान काम का समान वेतन सहित 9 मांगों के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे शिक्षाकर्मी पंचायत संवर्ग को नगर पालिक निगम की महापौर एवं एमआईसी सदस्यों ने अपना समर्थन दिया। घंटाघर चौक धरना स्थल पर महापौर ने शिक्षाकर्मियों के साथ बैठकर आंदोलन में सहभागिता दी।
शिक्षाकर्मियों के धरना आंदोलन हड़ताल को समर्थन देने पहुंचीं महापौर श्रीमती रेणु अग्रवाल ने कहा कि शिक्षाकर्मियों को निगम की तरफ से पूरा समर्थन हैं। शिक्षाकर्मियों की मांग जायज है और सरकार को उनकी मांग को पूरा करना चाहिए। कोरबा निगम शिक्षाकर्मियों को अपने स्तर पर सहयोग प्रदान करेगा। महापौर के साथ एमआईसी सदस्य दिनेश सोनी, मनकराम साहू, सीताराम चौहान ने भी मांगों को जायज ठहराया। हड़ताल में शामिल शिक्षाकर्मियों ने उद्बोधन में अपनी पीड़ा व्यक्त की। महिला शिक्षाकर्मियों ने बताया कि शासन के द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है।
शिक्षाकर्मी कुपोषित होकर काम कर रहे हैं। हमारे साथ स्कूलों में भेदभाव बरता जाता है। नियमित शिक्षकों के लिए और शिक्षाकर्मियों के लिए अलग-अलग हाजिरी रजिस्टर रखा जाता है जो कि हमारे साथ भेदभाव है। शिक्षाकर्मियों ने दोहराया कि वे अपना अधिकार लेकर रहेंगे। शिक्षाकर्मियों के संघ के पदाधिकारी मुकुंद केशव उपाध्याय ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं।
काम पर लौटने लगे शिक्षाकर्मी
हड़ताल और शासन की चेतावनी के मध्य कुछ शिक्षाकर्मी काम पर लौटने लगे हैं। परिविक्षाधीन अवधि वाले शिक्षाकर्मियों को जहां नौकरी का भय सता रहा है तो वहीं स्थानांतरण होकर आये शिक्षाकर्मी भी चिंतित हैं। इन सबके बीच कुछ नियमित शिक्षाकर्मी भी मैदान छोड़कर निकलने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक गोढ़ी स्कूल के 10 शिक्षाकर्मी जो हड़ताल में शामिल थे, उन्होंने कार्य पर वापसी की है। इसी तरह कुछ और शिक्षाकर्मी भी बीच में साथ छोड़कर जाने का मन बनाए हुए हैं लेकिन इन सबके बाद भी हड़ताली खासकर महिला शिक्षाकर्मियों का मनोबल कमजोर नहीं पड़ा है, बल्कि वे अपने छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर धरना स्थल पर हर दिन पहुंच रही हैं।
प्रेरकों ने किया इंकार
हड़ताल अवधि में स्कूलों को में शिक्षा व्यवस्था संभालने एवं मध्यान्ह भोजन के संचालन के लिए लोक शिक्षा केन्द्रों के प्रेरकों को सहयोग करने का निर्देश दिया गया है। जिला लोक शिक्षा समिति के इस निर्देश को छत्तीसगढ़ प्रेरक कल्याण संघ ने सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि प्रेरक अपनी मांगों को लेकर पूर्व में ज्ञापन सौंप चुके हंै जिस पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। इसलिए प्रेरक स्कूल एवं मध्यान्ह भोजन का संचालन नहीं करेंगे। उल्लेखनीय है कि शिक्षाकर्मियों के बाद रासोईयों ने भी हड़ताल कर दी है जिससे मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
जोगी कांग्रेस ने दिया साथ
9 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मियों को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का समर्थन मिला है। पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाक में हड़ताल पर बैठे शिक्षाकर्मियों को पाली व कटघोरा के जकांछ पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने समर्थन दिया है। उन्होंने आंदोलन स्थल पर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। जोगी कांग्रेस की गीता नेताम, कटघोरा जिलाध्यक्ष शैलेष सिंह, जकांछ विधानसभा अध्यक्ष अंजू पाण्डेय, डीके आदिले व महासचिव श्री महंत सहित सुनील अग्रवाल ने समर्थन दिया है।
आंदोलन से घबरा गई है सरकार : चौबे
पंचायत शिक्षाकर्मी संघ के जिला संचालक मनोज चौबे ने कहा है कि उनके आंदोलन से सरकार घबरा गई है। शासन ने आंदोलन को कमजोर करने के कई उपाय किए हैं।
परिविक्षाधीन एवं ट्रांसफर वाले शिक्षाकर्मियों को नोटिस दिया गया है। बीएलओ एवं अभिहित अधिकारियों, संस्था प्रमुखों व सीसीआरसी को नोटिस देकर आंदोलन को पूर्ण रूप से कमजोर करने का प्रयास किया गया लेकिन शिक्षाकर्मियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। कोरबा जिले में आंदोलन वृहद स्तर पर पहुंच चुका है। शासन-प्रशासन के नोटिस से डरने की आवश्यकता नहीं।
एटक ने मांगों का किया समर्थन
शिक्षाकर्मियों की मांगों का समर्थन श्रमिक संगठन एटक ने किया है। एटक के छत्तीसगढ़ राज्य महासिचव हरिनाथ सिंह ने कहा है कि शिक्षाकर्मी लंबे समय से समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं परंतु राज्य सरकार की ओर से शिक्षाकर्मियों की मांगों को पूरा करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
जिसके कारण पुन: शिक्षाकर्मी हड़ताल पर चले जाने हेतु विवश हैं। इससे स्कूलों की पढ़ाई प्रभावित होना स्वाभाविक है। आंदोलनरत शिक्षाकर्मियों की मांगों को पूरा करने के बजाए बर्खास्त करने की बातें तुगलकी फरमान हैं। शिक्षा कर्मियों की मांग न्यायोचित है, इसे पूरा किया जाना चाहिए।


