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मूर्ति मामले में मायावती ने कहा, राम की मूर्ति पर आपत्ति नहीं तो मेरी क्यों

लखनऊ के अंबेडकर पार्क में मायावती की मूर्तियां लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया था और उनसे जवाब मांगा था

मूर्ति मामले में मायावती ने कहा, राम की मूर्ति पर आपत्ति नहीं तो मेरी क्यों
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नई दिल्ली। अपनी और हाथी की मूर्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती से जवाब मांगा था, जिस पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने हलफनामा दायर कर दिया है लेकिन इस हलफनामे में मायावती ने जो दलील दी है अब उस पर विवाद खड़ा हो गया है खासतौर पर बीजेपी मायावती की सफाई से बेहद खफा नज़र आ रही हैं।

देश की सियासत में भगवान राम का क्या महत्व है, ये जगजाहिर है, बीजेपी 2014 में भी राम नाम को भुनाकर सत्ता में आई थी और आज भी पार्टी किसी ना किसी बहाने से मर्यादा पुरूषोत्तम राम के नाम पर खेल रही है। ऐसे में जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने जब अपनी मूर्तियों की तुलना भगवान राम की प्रतिमाओं से की तो सूबे का सियासी पारा गरमा गया।

दरअसल लखनऊ के अंबेडकर पार्क में मायावती की मूर्तियां लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया था और उनसे जवाब मांगा था। इस पर मायावती ने जो हलफनामा दायर किया है उसने सभी को हैरान कर दिया है। अपनी दलील में मायावती ने भगवान राम से लेकर कई पूर्व प्रधानमंत्रियों तक की मूर्तियों का हवाला दिया है।

बहनजी ने उल्टा सवाल दागते हुए पूछा कि अयोध्या में भगवान राम की प्रस्तावित 221 मीटर ऊंची मूर्ति का ऐसा ही विरोध क्यों नहीं हो रहा है? हलफनामे में कहा है कि देश में मूर्तियां लगाने की पुरानी परंपरा रही है।

कांग्रेस के शासन काल में केंद्र और राज्य सरकारों ने देशभर में सरकारी खजाने से जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी वी नरसिम्हा राव की मूर्तियां लगवाईं। ऐसे ही उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भी भगवान राम की मूर्ति बनाने की योजना बना रही है लेकिन इन मूर्तियों को लेकर न तो मीडिया और न ही याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया है, वहीं उन्होंने सफाई दी कि आम जनता की सेवा के लिए वह अविवाहित रहीं और दलित उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

ऐसे में लोगों की इच्छा से प्रेरित होकर ये मूर्तियां बनवाई गईं। मायावती की इस दलील पर अब बीजेपी ने आपत्ति जताई है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या मायावती खुद को भगवान समझती हैं। खैर अब बात निकली है तो दूर तलक तो जाएगी ही, ऐसे में इस पर उठा विवाद अब कब शांत होता है, ये देखना दिलचस्प होगा।


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