भारतीय सिनेमा के दूसरे सहगल थे मास्टर मदन
भारतीय संगीत जगत में अपने सुरों के जादू से श्रोताओं को मदहोश करने वाले गायक तो कई हुए और उनका जादू भी उनके सर चढ़कर बोला लेकिन कुछ ऐसे गायक भी हुए जो गुमनामी के अंधेरे में खो गये और आज उन्हें कोई याद

मुंबई। भारतीय संगीत जगत में अपने सुरों के जादू से श्रोताओं को मदहोश करने वाले गायक तो कई हुए और उनका जादू भी उनके सर चढ़कर बोला लेकिन कुछ ऐसे गायक भी हुए जो गुमनामी के अंधेरे में खो गये और आज उन्हें कोई याद भी नहीं करता। उन्हीं में एक ऐसी ही प्रतिभा थे मास्टर मदन।
मास्टर मदन का जन्म 28 दिसंबर 1927 को पंजाब के जालंधर में हुआ था। मास्टर मदन के पिता सरदार अमर सिंह भारत सरकार के शिक्षा विभाग में काम किया करते थे । उनके पिता की रूचि संगीत में थी और वह हारमोनियम और तबला बजाने मे निपुण थे जबकि उनकी माता धार्मिक विचारों वाली महिला थी । मास्टर मदन के भाई और बहन भी संगीत में काफी रूचि रखते थे। घर में संगीत का माहौल होने के कारण मास्टर मदन भी संगीत में अपनी रूचि लेने लगे। महज दो वर्ष की उम्र में ही मास्टर मदन ने अपने से उम्र में 14 वर्ष बड़ी बहन से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी । इसके अलावा उन्होंने संगीतकार पंडित अमर नाथ और गोसाई भगवद किशोर से भी संगीत की शिक्षा हासिल की ।
मास्टर मदन अपने बड़े भाई मोहन के साथ संगीत का रियाज किया करते थे ।उन दिनों महान गायक कुंदन लाल सहगल शिमला में रेमिंगटन नामक टाइपराईटर कंपनी में काम करते थे वह मास्टर मदन के घर अक्सर आया करते थे
.और उनके बड़े भाई के साथ संगीत का रियाज किया करते थे जिसे मास्टर मदन बड़े प्यार के साथ सुना करते थे । मास्टर मदन की प्रतिभा से सहगल काफी प्रभावित हुए ।कुछ समय के बाद सहगल कोलकाता के न्यू थियेटर से जुड़ गये और उनका ध्यान मास्टर मदन की ओर गया ।उन्होंने मास्टर मदन से पेशकश की .जब भी वह कोलकाता आयं तो
उनसे एक बार अवश्य मिलें।
मास्टर मदन ने अपना पहला प्रोग्राम महज साढ़े तीन वर्ष की उम्र में धरमपुर में पेश किया । गाने के बोल कुछ इस प्रकार थे .. हे शारदा नमन करूं .. । मास्टर मदन की मनमोहक आवाज का जादू श्रोताओं पर कुछ इस तरह छाया .उनकी आंखों में आंसू आ गये । इसके अलावा इसी कार्यक्रम में उन्होंने ध्रुपद में भी गाने गाये । कार्यक्रम में मास्टर मदन को सुनने वाले कुछ शास्त्रीय संगीतकार भी उपस्थित थे .जो उनकी संगीत प्रतिभा से काफी प्रभावित हुये और कहा ..इस बच्चे की प्रतिभा में जरूर कोई बात है और इसे संगीत ईश्वरीय देन है।.. आज के पहले इतना मधुर गाना कभी नहीं सुना था पूरे देश में इस बच्चे की प्रतिभा का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है ।


