जन एकता, जन अधिकार, जन प्रतिरोध
देश में तेज हो रहे आंदोलनों को लेकर आज एक नया प्रयोग हुआ, जबकि देश के तमाम वर्गीय, जन और सामाजिक आंदोलन एक मंच पर आए
नई दिल्ली। देश में तेज हो रहे आंदोलनों को लेकर आज एक नया प्रयोग हुआ, जबकि देश के तमाम वर्गीय, जन और सामाजिक आंदोलन एक मंच पर आए। इसीलिए इस सम्मेलन में जो मांग पत्र पेश किया गया, उसमें व्यापक मुद्दों को शामिल किया गया। मांग पत्र में स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू करने की मांग की गई, तो श्रम कानूनों को बिना किसी संशोधन के पास करने की भी।
मांग पत्र में सहारनपुर के दलित नेता चंद्रशेखर की रिहाई की मांग भी उठाई गई, तो पशु व्यापारियों को सुरक्षा देने और भीड़ द्वारा हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की भी। सम्मेलन में शिक्षा और स्वास्थ्य पर कुल बजट का 6-6 फीसदी खर्च करने की मांग उठाई और शिक्षा के भगवाकरण का विरोध भी किया गया। सम्मेलन में यह भी तय किया गया, कि इस तरह के सम्मेलन राज्य व जिला स्तर पर भी किए जाएंगे और 30 अक्टूबर को पूरे देश में एक साथ मशाल जुलूस निकाले जाएंगे।
जन एकता, जन अधिकार, जन प्रतिरोध के नाम से आयोजित यह सम्मेलन भूमि अधिकार आंदोलन का ही विस्तार था, उसमें केवल जमीन की लड़ाई लड़ने वाले किसान संगठन और जन संगठन शामिल थे, यहां महिला, छात्र, युवा, अल्पसंख्यक, दलित, किसान, मजदूर, बुद्धिजीवी संगठन जमा थे। इस जमावड़े में देश की प्रमुख छह वामपंथी दलों के संगठनों के अलावा देश भर के तमाम जन संगठनों और आंदोलनों को शामिल किया गया है। इस सम्मेलन में 150 से अधिक संगठन शामिल थे। ये संगठन बढ़ भी सकते हैं, क्योंकि ऐसे तमाम संगठनों को इसमें खुला आमंत्रण दिया गया है, जो नई आर्थिक नीतियां और सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ रहे हैं।
सम्मेलन की रुपरेखा एटक नेता अमरजीत कौर ने पेश की, प्रस्ताव हन्नान मौल्ला ने पेश किया और मांग पत्र किसान नेता अतुल कुमार अंजान ने। सम्मेलन में कई नए सुझाव भी आए, जिन्हें बाद में जोड़ा जाएगा। यहां आए सभी संगठन 9 से 11 तक मजदूर संगठनों द्वारा संसद पर किए जाने वाले घेराव का समर्थन करेंगे और 20 नवम्बर को संसद पर होने वाली किसान संसद का भी। सम्मेलन में सभी प्रमुख संगठनों के नेताओं ने अपना पक्ष रखा और समयाभाव के कारण कई नहीं रख सके।
सम्मेलन ने 33 फीसदी महिला आरक्षण की मांग उठाई और रोहिंग्या मुसलमानों के मामले में म्यांमार और संयुक्त राष्टï्र के साथ मिलकर स्थाई हल निकालने की भी। मांग पत्र में मनरेगा को शहरों तक बढ़ाने, मनरेगा के दिन 250 दिन करना व न्यूनतम मजदूरी 500 रुपए करने, वनाधिकार कानून को एक साल में पूरी तरह लागू करने जैसी मांगों को भी शामिल किया गया था। मांग पत्र में नर्मदा घाटी के विस्थापितों का तत्काल पुनर्वास करने की मांग भी शामिल है और गौरी लंकेश, कलबुर्गी, पांसारे जैसे बुद्धिजीवियों के हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार करने की भी। प्रस्ताव और मांग पत्र को सर्व सम्मति से पास किया गया।


