Top
Begin typing your search above and press return to search.

मुखौटा

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति के वार्षिकोत्सव की तैयारियां हो रहीं थी

मुखौटा
X

- डॉ. प्रभा दीक्षित

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति के वार्षिकोत्सव की तैयारियां हो रहीं थी। महिलाओं की केन्दीय कमेटी ने विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से यह तय किया कि इस बार दंश के सम्पादक को मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रित किया जाये क्योंकि पिछले एक दशक से वे महिलाओं की ज्वलन्त समस्याओं पर निरन्तर अपनी पत्रिकाओं में सवाल उठा रहे हैं और स्त्री मुक्ति का नारा दे रहे हैं।

सम्मेलन प्रारम्भ हुआ। सम्पादक जी आये और अध्यक्ष पद से बोलते हुये उन्होंने कहा कि ''वर्तमान मध्यमवर्गीय समाज में घरेलू हिंसा की घटनायें अखबार की सुर्खियों बनी हुई हैं।'' अन्त में उन्होंने पुरूषों को चेतावनी देते हुए कहा कि ''यदि वे पुरूष श्रेष्ठता के दंभ को समाप्त नहीं करते तो महिलायें निकट भविष्य में पुरूषों के खिलाफ विद्रोह करने को विवश हांगी।'' तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका भाषण समाप्त हो गया । वे अपनी कार में बैठकर घर आ गये।

घर पर नौकर ने बताया कि उनकी पत्नी सुधा उनके जाने के बाद घर से चली गयी थी और अभी तक नहीं आई है। सम्पादक जी के चेहरे पर खामोशी भरे आक्रोश के निशान उभर आये। तभी सुधा ने घर में प्रवेश किया। वे डपट कर बोले-''मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि जब मैं घर आया करूं उस समय तुम्हारा मौजूद रहना बहुत जरूरी हैं, लेकिन तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आती हो।'' वे शायद गुस्से में कुछ और भी कहते इसके पूर्व ही सुधा ने हाथ के इशारे से उन्हें चुप रहने का संकेत देते हुए कहा कि ''मैं सबसे पीछे बैठी हुई महिलाओं की सभा में आपका भाषण सुन रही थी। क्या ख्याल है? आप जो आक्रोशपूर्ण प्रतिक्रिया इस समय व्यक्त कर रहे हैं उसे मैं विस्तार के साथ प्रेस वालों को बता दूं।''

अब सम्पादक जी बगलें झांक रहे थे। उन्होंने अपनी भाषा में नम्रता घोलते हुए कहा-''अरे यार बात यह है कि मैं तुम्हें इतना प्यार करता हूं कि जब तुम घर पर नहीं होती हो तो मैं बेचैन हो जाता हूंँ।''

सुधा मैं खूब समझती हूंँ'' कहते हुए व्यंग्य से मुस्करा रही थी।''


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it