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बाजार की शक्तियां आदिवासियों को वन उत्पाद बेचने से रोक सकती हैं : मंत्रालय

जनजातीय मंत्रालय के अंर्तगत आने वाली ट्राइफेड ने कहा है कि लॉक डाउन का आदिवासी हितो पर भी जबरदस्त असर पड़ रहा है

बाजार की शक्तियां आदिवासियों को वन उत्पाद बेचने से रोक सकती हैं : मंत्रालय
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नई दिल्ली। जनजातीय मंत्रालय के अंर्तगत आने वाली ट्राइफेड ने कहा है कि लॉक डाउन का आदिवासी हितो पर भी जबरदस्त असर पड़ रहा है। आदिवासी समुदाय लकड़ी का वन उत्पादन नही कर पा रहे हैं, जिस वजह से वन उत्पाद का व्यापार लगभग ठप्प पड़ गया है, इसलिए ट्राइफेड ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिख कर कहा है कि जनजाति संग्राहको को सुरक्षित रखने के लिए कुछ एहतियाती उपाय किया जाए।

ट्राइफेड के निदेशक प्रवीर कृष्णा ने पत्र में लिखा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने पूरी दुनिया के सामने अभूत-पूर्व कठिनाई उत्पन्न की है। लगभग सभी राज्य, केंद्र शासित प्रदेश, व्यापार और उद्योग के सभी क्षेत्र और समाज के सभी वर्ग इस महामारी से प्रभावित हैं। जनजाति भी इसके अपवाद नहीं हैं। लिहाजा, राज्य ऐसे समय सजग रहें, ताकि बाजार की शक्तियां जनजाति-संग्राहकों को जबरन विक्री के लिए बाध्य न करें। इसलिए एमएफपी योजना को संवेदनशील क्षेत्रों में अधिक प्रभावी तरीके से लागू की जाए।

पत्र में आगे कहा गया है, वन संग्राहकों को लकड़ी के संग्रह कार्य के दौरान स्वच्छता की सलाह दी जानी चाहिए। संग्रह कार्य के पहले और बाद में उन्हें अपने हाथों सैनिटाइजेशन होना चाहिए। वन धन विकास केंद्रों समेत सभी एनएटीएफपी प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्रों के प्रवेशद्वार पर सैनिटाइजर रखे जाने चाहिए। प्रसंस्करण का कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को केंद्र में प्रवेश से पहले और कार्य प्रारंभ करने से पहले अपने हाथों को कीटाणुमुक्त करना चाहिए।

पत्र में कहा गया है, प्रसंस्करण का काम समाजिक दूरी का ध्यान रख कर किया जाए। एक-दूसरे से कम से कम 2 मीटर की दूरी बनाए रखनी चाहिए। यदि केंद्र में जगह की कमी है तो उन्हें अलग-अलग पाली में कार्य करना चाहिए या स्वच्छ वातावरण में अपने घर पर ही कार्य करना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति ठंड या खांसी से पीड़ित है तो उसे केंद्र में आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और सभी संग्राहकों और प्रसंस्करण कर्मियों को उस व्यक्ति से आवश्यक दूरी बना कर रखनी चाहिए।

यदि किसी संग्राहक (या उसके घर का कोई व्यक्ति) में कोविड-19 के मामूली लक्षण भी दिखाई देते हैं तो उनकी स्क्रीनिंग की जानी चाहिए और जरूरी हो तो उन्हें क्वारंटाइन में रखा जाना चाहिए।

एनएटीएफपी की पैकिंग स्वच्छ होने के साथ-साथ कटी-फटी नहीं होनी चाहिए, ताकि एनएटीएफपी रख रखाव करने वाले व्यक्ति के हाथों के संपर्क में न आएं। जहां तक संभव हो, नकद लेनदेन कम से कम किए जाएं और धनराशि को संग्राहकों के बैंक खातों में जमा किया जाना चाहिए।


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