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डंपिंग ग्राउंड के विरोध में हुई मैराथन दौड़

  डंपिंग ग्राउंड को लेकर 42 दिन से लगातार एक जगह बैठकर धरना देने के बावजूद कोई सुनवाई न होने पर रविवार को मैराथन दौड़ का आयोजन किया

डंपिंग ग्राउंड के विरोध में हुई मैराथन दौड़
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नोएडा। डंपिंग ग्राउंड को लेकर 42 दिन से लगातार एक जगह बैठकर धरना देने के बावजूद कोई सुनवाई न होने पर रविवार को मैराथन दौड़ का आयोजन किया। इसका आयोजन डंपिंग ग्राउंड के विरोध में किया गया।

जिसमें कई नेता, सामाजिक कार्यकर्ता व रेजिडेंट्स ने बैनर लेकर मैराथन में हिस्सा लिया। प्रशासन से लेकर प्राधिकरण के आवाज न सुनने पर ग्रोनीनाथोन नाम से एक मैराथन का आयोजन किया गया। जिसमे सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।

दौड़ सेक्टर-38 स्थित पेट्रोल पंप से शुरू की गई। इसमें बड़ी संख्या में बच्चे व महिलाएं भी दौड़ती दिखी। सेक्टर-123 में 25 एकड़ क्षेत्र में डंपिंग ग्राउंड प्रस्तावित किया गया है। यहां वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का निर्माण किया जाना है। प्लांट छह माह में बनाया जाना है। सेक्टर-123 के आसपास करीब आधा दर्जन गांव व छह रिहाएशी सोसायटी है। जहां करीब 70 से 80 हजार लोग रहते है। ऐसे में यदि यहां डंपिंग ग्राउंड बनता है, तो लोगों का रहना तक दूभर हो जाएगा।

42 दिन से लगातार धरने पर बैठ रहे है, लोग

डंपिंग ग्राउंड में जनता के अलावा सामाजिक संगठन के लोग और समाजवादी पार्टी के नेता भी है। इसको लेकर वह पिछले 42 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे है। पार्टी नेता सैकड़ों लोगों के साथ हर दिन सेक्टर-122 गोलचक्कर पर धरना दे रहे हैं। लेकिन प्रशासन से लेकर प्राधिकरण तक ने इन लोगों की बात अभी तक नहीं सुनी।

बतातें चले कि इस मामले में खुद केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा के अलावा विधायक पंकज सिंह भी लोगों को आश्वासन दे चुके है। लेकिन अभी तक समस्या का हल नहीं निकाला जा सका है। सभी विरोध के बावजूद प्राधिकरण इसी जगह पर डंपिंग ग्राउंड बनाने की तैयारी में जुटा है। इसके लिए बजट तैयार करने से लेकर पूरी प्लानिंग की जा रही है।

यह है पूरा मामला

शहर में प्रतिदिन करीब 650 मेट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इस कूड़े का निस्तारण पहले सेक्टर-137 में किया जाता है। यहां के निवासियों द्वारा शिकायत के बाद एनजीटी ने प्राधिकरण को नोटिफाइड क्षेत्र घोषित करने के लिए कहा था। प्राधिकरण ने सेक्टर-123 को नोटिफाइड किया। इसकी जानकारी मिलते ही लोगों ने यहा विरोध शुरू कर दिया। इसको लेकर लोग एनजीटी भी गए। लेकिन प्राधिकरण ने अपना नोटिफाइड क्षेत्र व पर्यावरण मानको का हवाला दिया। लिहाजा पक्ष में फैसला दिया गया।


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