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बिहार में कई दल अभी भी 'बुलावे' के इंतजार में, बनेगा अलग 'फ्रंट'

बिहार में महागठबंधन और एनडीए अपना कुनबा बढ़ाने में लगे हैं

बिहार में कई दल अभी भी बुलावे के इंतजार में, बनेगा अलग फ्रंट
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पटना। बिहार में महागठबंधन और एनडीए अपना कुनबा बढ़ाने में लगे हैं। लेकिन, प्रदेश में कम से कम ऐसे चार सक्रिय राजनीतिक दल हैं जो अभी भी 'बुलावे' के इंतजार में हैं। इनमें से कुछ ने अपने विकल्प भी खुले रखे हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में मंगलवार को एनडीए की बैठक हुई, जिसमें बिहार के राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद), लोजपा (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), राष्ट्रीय लोजपा के नेताओं ने शिरकत की। इसके अलावा बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में छह दल शामिल हैं।

ऐसे में पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), बसपा और एआईएमआईएम को अभी भी बुलावे का इंतजार है।

इस बीच जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा कि बार-बार आग्रह करने के बावजूद अभी तक महागठबंधन में जाप को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए कई नेताओं से बात भी की।

पप्पू यादव ने महागठबंधन को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि कांग्रेस को तय करना होगा कि मैं महागठबंधन का हिस्सा हूं या नहीं। अगस्त तक मुझे महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया, तो अकेले 3 से 5 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा।

इधर, एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने ऐलान किया कि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी बिहार में तीसरा मोर्चा बनाएगी। उन्होंने बताया कि समान विचारधारा वाली पार्टियों को इसमें शामिल किया जाएगा।

इमान ने आगे बढ़कर यहां तक कहा कि असदुद्दीन ओवैसी भाजपा के मुखर विरोधी हैं, इसके बावजूद उन्हें भाजपा विरोधी महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया। ऐसे में उनके पास अब तीसरा मोर्चा बनाने का विकल्प ही रहा है।

पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें एआईएमआईएम के पांच प्रत्याशी जीते थे।

इधर, वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। उनके 25 जुलाई को गठबंधन में जाने की घोषणा करने की उम्मीद है। वीआईपी ने 25 जुलाई को फूलन देवी की शहादत दिवस पर एक बड़ा कार्यक्रम करने की बात कही है।

बहरहाल, छोटे दल अभी अपना विकल्प खुला छोड़ रखे हैं। माना जा रहा है कि दोनों गठबंधनों ने भी अभी अपने दरवाजे खुले रखे हैं। ऐसे में बिहार के अन्य बचे दल किसके साथ जाते हैं या एआईएमआईएम के तीसरे मोर्चे के साथी बनते हैं, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।


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