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तुस्याना भूमि घोटाले के जांच की आंच में ग्रेनो प्राधिकरण के फंस सकते है कई अधिकारी

तुस्याना भूमि घोटाले के जांच की आंच ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तैनात रहे पूर्व के कई अधिकारियों तक पहुंच सकती है

तुस्याना भूमि घोटाले के जांच की आंच में ग्रेनो प्राधिकरण के फंस सकते है कई अधिकारी
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- देवेंद्र सिंह

ग्रेटर नोएडा। तुस्याना भूमि घोटाले के जांच की आंच ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तैनात रहे पूर्व के कई अधिकारियों तक पहुंच सकती है। नियम का ताक पर रखकर छह फीसदी आबादी आवंटन का घोटाला चलता है, तत्कालीन प्राधिकरण के अधिकारियों ने आंख मूंद रखी थी। एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर दर्ज मामले में अब पुलिस जांच कर रही है।

पुलिस की जांच में कई और अधिकारियों के नाम का खुलासा हो सकता है। बताया जाता है कि इस पूरे घोटाले में प्राधिकरण के करीब दस अधिकारियों की मिली भगत रही है। फिलहाल पुलिस और एसआईटी जांच टीम ने इस मामले में भाजपा एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई ग्रेनो के प्राधिकरण के पूर्व प्रबंधक कैलाष भाटी समेत तीन लोगों को गिरफतार किया है। इस प्रकरण के मकौड़ा गांव के पूर्व प्रधान राजेंद्र भाटी के बेटे दीपक भाटी को भी गिरफतार किया गया।

जबकि इसमें मकौड़ा गांव के पूर्व प्रधान, उनके बेटे और बहू शामिल हैं। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-1 में जो भूखंड पहले नर्सरी के लिए आवंटित किया गया था, फिर उस भूखंड पर तुस्याना गांव के लिए 6 प्रतिशत आबादी के भूखंड का आवंटन कर दिया गया। नियोजन विभाग ने मकौड़ा गांव की महिला मधु के नाम यह आवंटन किया है। नर्सरी के भूखंड के आवंटी वीरेंद्र खारी ने इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में कोर्ट गुरुवार (कल) सुनवाई करेगी।

वीरेंद्र खारी ने बताया, ष्सन 2003 में उसे नॉलेज पार्क-1 में भूखंड नंबर जी-31 आवंटित किया गया। जिसका एरिया 10,500 वर्ग मीटर है। इस भूखंड को नर्सरी के लिए आवंटित किया गया था। भूखंड को पूरी तरह से नर्सरी के लिए विकसित किया गया है। इसमें नलकूप और तार फेंसिंग करके हजारों पौधे लगाए गए। प्लॉट की लीज करा ली गई।

वीरेंद्र खारी ने अदालत को बताया है कि सन 2014 में अचानक मकोड़ा के निवासी राजेंद्र सिंह ने प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ, एसीईओ, जीएम प्लानिंग , ओएसडी प्रोजेक्ट, डीजीएम नियोजन निमिषा शर्मा, वरिष्ठ कार्यपालक (नियोजन) सुखवीर सिंह, सीनियर ड्राफ्टमैन सुरेश कुमार, 6 प्रतिशत आबादी के मैनेजर कैलाश भाटी और उधान विभाग के मैनेजर समेत कई अधिकारियों से साठगाठ कर ली।

ग्रीन बेल्ट की जमीन पर खड़ा हो गया कामर्षियल कांप्लेक्स

वीरेंद्र खारी आगे कहते हैं, ष्राजेंद्र सिंह ने तुस्याना गांव से 691 वर्ग मीटर का भूखंड मेरी भूखंड नंबर जी-31 की बराबर में आवंटित करवा लिया। यह प्लॉट सूरजपुर-कासना मैन रोड पर कैलाश हॉस्पिटल के बराबर में लगाया गया। यह प्लॉट राजेंद्र सिंह ने अपने दो बेटों मनोज, दीपक और उनकी पत्नी श्वेता व मधू के नाम आवंटित करवाया।ष् विरेंद्र सिंह ने बताया कि यह जमीन तुस्याना गांव में मधु पत्नी प्रजोत सिंह के नाम है। दस्तावेजों में मधु के पिता का नाम जीएस कंबोज है। आरोप है कि रजिस्ट्री में फोटो तक बदल दिया गया है। विरेंद्र सिंह ने बताया कि ग्रीन बेल्ट का लैंड यूज और मास्टर प्लान में बदलाव किए बगैर यह भूखंड 14000 वाल्ट की हाईटेंशन लाइन के तले आवंटित किया गया। इन लोगों ने इन प्लॉट पर कामर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाकर खड़ा कर दिया है।

प्राधिकरण से बिना नक्शा पास कराए बना डाली मार्केट

बताया कि राजेंद्र सिंह का प्राधिकरण में रूतबा चलता है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बगैर नक्शा पास कराए ग्रीन बेल्ट में बेसमेंट खोद डाला। चार मंजिला मार्केट बनाकर खड़ी कर दी। मार्केट से हर महीने लाखों रुपये किराया उगाही की जा रही है। अब इस मामले में एक ओर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है, वहीं एसआईटी भी जांच कर रही है।

ग्राम समाज की जमीन फर्जी तरीके से करा लिया दर्ज

मकौड़ा के राजेंद्र प्रधान पूरा दिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय में अधिकारियों के कमरे में बैठा रहता है। उसने सबसे पहले तुस्याना गांव में ग्राम समाज की जमीन राजस्व विभाग के कर्मचारियों से सांठगांठ करके 2002 में अपने बेट और बहू के नाम दर्ज करा लिया। इसके बाद उसका मुआवजा भी उठा लिया। जमीन अधिग्रहण के बदले छह फीसदी भूखंड किसान को उसी गांव में मिलता है। राजेंद्र प्रधान ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल करके तुस्याना गांव से दस किलो दूर नॉलेज पार्क एक में सूरजपुर-कासना मैड रोड के किनारे प्राधिकरण के अधिकारियों से मिलकर आवंटित करा लिया। अगर इसकी जांच हुई तो राजेंद्र प्रधान समेत कई अधिकारियों का नाम अन्य जमीन घोटालों में भी उजागर हो सकता है।


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