मनीष सिसोदिया ने कहा आईजीएसटी हटाओ अचल संपत्ति को जीएसटी में लाओ
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अचल संपत्ति क्षेत्र को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कर प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आईजीएसटी हटाने की मांग की

नयी दिल्ली । दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अचल संपत्ति क्षेत्र को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की वकालत करते हुए कर प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आईजीएसटी हटाने की मांग की है।
वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे श्री सिसोदिया ने एसोसिएटेड चैम्बर आॅफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के जीएसटी पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए आज कहा कि आईजीएसटी कोष में 1,81,418 करोड़ रुपए की राशि जमा है जिसका भुगतान नहीं किया गया है। इतनी बड़ी राशि फंसी होने की वजह से आर्थिक नुकसान हो रहे हैं। यह राशि न तो केन्द्र सरकार के खाते में है और न ही राज्य सरकारों के। इतनी बड़ी राशि के फंसे होने से केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ ही व्यापारियों को भी कोई मदद नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि वह जीएसटी को अमल लाने के दिन से ही आईजीएसटी का विरोध कर रहे हैं। वह सेंट्रल जीएसटी और स्टेट जीएसटी के पक्ष में हैं।
अचल संपत्ति क्षेत्र को जीएसटी में लाने पर जोर देते हुए श्री सिसोदिया ने कहा कि ऐसा करने पर काला धन के खिलाफ प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी ।
श्री सिसोदिया ने कहा कि जीएसटी का पहला मकसद था “ एक राष्ट्र . एक कर ” लेकिन वर्तमान में इसके पांच स्लैब हैं और यह “ एक राष्ट्र कई कर ” के रुप में नजर आ रहा है। उन्होंने ई वे बिल प्रणाली को इंस्पेक्टर राज से अलग रखने की मांग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय कारोबार के मामले में ई वे बिल की जरुरत नहीं है जब सारा काम आॅनलाइन हो रहा है तो प्रत्येक जांच बिंदु पर भौतिक रुप से इंस्पेक्टर की मौजूदगी का कोई औचित्य नहीं है।
आईजीएसटी को गलत बताने के पीछे की वजह की जानकारी देते हुये उन्होंने कहा कि व्यापारियों से तो कर के रुप में अग्रिम वसूली कर ली गई किंतु यह राशि एस्क्रो खाते में है जिसका इस्तेमाल न तो केन्द्र सरकार कर पा रही है और न ही राज्य सरकारें। आईजीएसटी से हो रहे नुकसान को देखा जाना चाहिए । सरकार को इसका अध्ययन कराकर इसे हटाने का फैसला लेना चाहिए।
श्री सिसोदिया ने अचल संपत्ति को जीएसटी के दायरे में लाने पर कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान इसका सुझाव दिया था लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि कई राज्य के मंत्री इस पर राजी नहीं थे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जीएसटी को बिना पूरी तैयारी के जिस हड़बड़ी में लागू किया गया उससे इसके उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है।


