जातीय हिंसा की सबसे बड़ी शिकार हैं मणिपुरी महिलाएं
मणिपुर से दो निर्वस्त्र महिलाओं के वायरल वीडियो ने कई चीजें बदल दी हैं. पहली बार प्रधानमंत्री ने इस पर टिप्पणी की, पहली बार मणिपुर मीडिया की मुख्यधारा में आया और सुप्रीम कोर्ट ने भी पहली बार इस घटना का संज्ञान लिया है.

चार मई का यह वीडियो अब पहली बार सामने आया है. जानकारों का कहना है कि यह वीडियो को महज एक झांकी है. इंटरनेट पर पाबंदी हटने के बाद ऐसी सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो सामने आ सकते हैं. इस वीडियो ने यह भी साबित कर दिया है कि बीते 79 दिनों से राज्य में जारी जातीय हिंसा की सबसे बड़ी मार देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा सामाजिक रुतबा रखने के बावजूद यहां की महिलाओं पर ही पड़ी है.
"अगर सरकार ने कुछ नहीं किया तो अदालत करेगी"
महिलाओं से दुर्व्यवहार के कई मामले
मणिपुर में मैतेई और कुकी तबके के बीच बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा, आगजनी और एक-दूसरे के प्रति अविश्वास की खाई बढ़ने की खबरें तो अशांति के पहले दिन से ही सामने आने लगी थीं. हालांकि यह पहला मौका है जब महिलाओं के साथ ऐसे अमानवीय अत्याचार का कोई वीडियो सामने आया है. इस वायरल वीडियो में पीड़ित महिलाएं कुकी तबके की हैं. इससे साफ है कि हमलावरों में मैतेई तबके के लोग ही शामिल हैं.
कुकी आदिवासियों के सबसे बड़े संगठन कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) के महासचिव के. गांग्टे इस घटना की मिसाल देते हुए कहते हैं, "हम बहुत पहले से ही मैतेई लोगों के अत्याचारों की बात कहते आ रहे थे. लेकिन कोई हमारा भरोसा नहीं कर रहा था. सरकार और पुलिस मैतेई तबके के साथ थी. अब इस वीडियो ने हमारे आरोपों को साबित कर दिया है. आप ही बताएं कि आखिर मौजूदा परिस्थिति में हम अब मैतेई लोगों के साथ कैसे रह सकते हैं?"
कुकी नेता का दावा है कि राज्य में इंटरनेट बंद होने के कारण ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने नहीं आ पा रहे हैं. इंटरनेट से पाबंदी खत्म होते ही ऐसे फोटो और वीडियो की बाढ़ आ जाएगी. उनका कहना है कि यह पहला या अंतिम मामला नहीं है. मानवता को शर्मसार करने वाली ऐसी कई कहानियां पर्वतीय इलाकों के लगभग हर गांव में सुनने को मिल जाएंगी. यहां उन लोगों ने शरण ली है जो हिंसा शुरू होने के बाद किसी तरह जान बचा कर अपने गांव लौटने में कामयाब रहे थे.


