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मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने दुकान से बंदूकों की लूट की निष्पक्ष जांच की मांग की

मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) ने राज्य सरकार से चुराचांदपुर में एक लाइसेंसी बंदूक की दुकान से लूट की घटना की जांच एक गैर-कुकी और गैर-मेइती पुलिस अधिकारी द्वारा कराने के लिए कहा है

मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने दुकान से बंदूकों की लूट की निष्पक्ष जांच की मांग की
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इम्फाल। मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) ने राज्य सरकार से चुराचांदपुर में एक लाइसेंसी बंदूक की दुकान से लूट की घटना की जांच एक गैर-कुकी और गैर-मेइती पुलिस अधिकारी द्वारा कराने के लिए कहा है। अधिकारियों ने यहां सोमवार को यह जानकारी दी। एमएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति उत्पलेंदु विकास साहा और सदस्य के.के. सिंह ने एक आदेश में मुख्य सचिव, आयुक्त एवं सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को एक लाइसेंसी बंदूक की दुकान से बंदूक लूट की प्राथमिकी को चुराचांदपुर थाने में स्थानांतरित करने की सिफारिश की है। साथ ही चुराचांदपुर जिले के एसपी को मामले की जांच एसपी या डिप्टी एसपी रैंक के एक गैर-कुकी और गैर-मीतेई पुलिस अधिकारी द्वारा करने का निर्देश देने की भी बात कही है।

एमएचआरसी का यह आदेश बंदूक की दुकान के मालिक एन. इबोम्चा सिंह द्वारा मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराने और पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद आया है। हाल ही में 3 मई को भड़की जातीय हिंसा के दौरान संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा उनकी दुकान से कई बंदूकें लूट ली गई थीं।

बंदूक की दुकान के मालिक ने एमएचआरसी से मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को चुराचांदपुर में रहने वाले मेइती समुदाय के लोगों की सुरक्षा के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया।

लूटी गई बंदूकों की बरामदगी की मांग करते हुए इबोमचा सिंह ने चुराचांदपुर में पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात करने के लिए मुख्य सचिव, सचिव (गृह) को निर्देश देने का भी अनुरोध किया।

बंदूक की दुकान के मालिक ने एमएचआरसी को यह भी बताया कि मेइती समुदाय के लोग रियासत के समय से चुराचांदपुर में रहते थे और 1949 में मणिपुर के भारतीय संघ में विलय से पहले और न ही कुकी, न नागा और न ही किसी अन्य जनजाति ने पहले कोई समस्या पैदा की थी।

चुराचांदपुर जिले में अधिकांश लोग कुकी और अन्य आदिवासी समुदायों के हैं।


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