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बांध ओव्हर-फ्लो से प्रभावित किसानों ने मांगा मुआवजा

 करतला विकासखण्ड के ग्राम लबेद में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित चिताखोल जलाशय (बांध) का पानी समय रहते गेट खोलकर नहीं बहाये जाने के कारण ओव्हर फ्लो पानी किसानों के खेत में समा गया

बांध ओव्हर-फ्लो से प्रभावित किसानों ने मांगा मुआवजा
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कोरबा। करतला विकासखण्ड के ग्राम लबेद में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित चिताखोल जलाशय (बांध) का पानी समय रहते गेट खोलकर नहीं बहाये जाने के कारण ओव्हर फ्लो पानी किसानों के खेत में समा गया।

पत्थर, मिट्टी और बालू भी पानी के साथ बहकर खेतों में पट गये हैं। प्रभावित किसानों ने आज जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर जनदर्शन में मुआवजा और खेत सुधार के लिए आवेदन सौंपा। जांच के बाद उचित राहत और कार्रवाई का आश्वासन इन ग्रामीणों को मिला है।

उल्लेखनीय है कि जल संसाधन विभाग, कोरबा संभाग के द्वारा करतला विकासखण्ड के ग्राम लबेद में चिताखोल जलाशय का निर्माण पहाड़ों के बीच से होकर बहने वाले जल का संरक्षण के लिए 1 करोड़ 65 लाख की लागत से वर्ष-2006 में कराया गया है। उक्त जलाशय में पानी भराव क्षमता से अधिक होने पर बहाने के लिए जलाशय के बांये ओर गेट बनाया गया है और थोड़ी ही दूरी पर नहर का भी निर्माण कराया जा रहा है जिसमें अब तक सिर्फ मिट्टी और मुरूम का ही काम हो सका है।

पतली नाली की शक्ल में यह नहर अब भी नजर आ रही है जिसके बह जाने का हवाला देकर जलाशय का अतिरिक्त पानी छोड़ा नहीं जा रहा। इसके अलावा ओव्हर फ्लो पानी बहाने के लिए जलाशय के दांये तरफ वेस्ट वियर बनाया गया है। घटना दिनांक 19 जुलाई की रात बांध का ओव्हर फ्लो पानी किसी भी आपात रास्ते से निकलने के बजाय सीधे तेज गति से बहकर किसानों के खेतों में समा गया और इसके साथ ही बड़े पैमाने पर मिट्टी, पत्थर, बालू से खेत पट गये हैं।

प्रभावित किसान अब खेत सुधार और रोपे गए फसल का मुआवजा के लिए भटक रहे हैं। किसानों ने आज क्षेत्र की जनपद सदस्य धनेश्वरी कंवर के साथ मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर जनदर्शन में अपर कलेक्टर गजेन्द्र सिंह ठाकुर को मुआवजा के लिए ज्ञापन सौंपा। एक दर्जन की संख्या में पहुंचे प्रभावित किसानों ने बताया कि उनके 15 एकड़ से अधिक खेत प्रभावित हुए हैं।

नहर बनी नहीं और कार्य पूर्ण बता दिया

इस पूरे मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि जिला खनिज न्यास मद के 52.96 लाख से चिताखोल जलाशय के नहर का कार्य स्वीकृत किया गया। जून 2017 की स्थिति में डीएमएमएफ मद में जमा राशि पर किए गए व्यय और कार्यों की प्रगति के संबंध में चाही गई जानकारी के प्रपत्र में नहर निर्माण का कार्य शत-प्रतिशत् पूर्ण बताया गया है। भौतिक प्रगति का विवरण शत-प्रतिशत् दर्शाया गया है।

इसके विपरीत मौके पर नहर का काम अभी चल ही रहा है और सिर्फ मुरूम और मिट्टी के स्तर का ही काम आज भी देखा जा सकता है। ग्रामीणों ने भी जब ओव्हर फ्लो पानी नहर में बहाने की बात कही थी तब विभागीय अधिकारियों व ठेकेदार ने 4 साल बाद नहर का उपयोग करने की बात कही थी।

जबकि यह मामला देशबन्धु के द्वारा प्रमुखता से उठाये जाने के बाद जल संसाधन विभाग के एसडीओ सी एल धाकड़ ने भी मौके पर जाकर अवलोकन किया, तब क्या उन्हें यह अधूरी नहर नजर नहीं आयी। उच्च अधिकारियों को दी गई गलत जानकारी व ठेकेदार से सांठ-गांठ का यह दुष्परिणाम किसानों को भोगना पड़ रहा है।

नाला बनाने भेजी जेसीबी, जल भराव के कारण खड़ी रही

जलाशय के बांये तरफ नहर में पानी बहाने के लिए लगाए गए फाटक के जाम होने की वजह से नहीं खोलने की बात कही जा रही है लेकिन इसकी हकीकत अब जाकर सामने आई है कि कच्ची नहर व ठेकेदार को बचाने के लिए ऐसा किया गया है। सवाल यह भी है कि जब रिकार्ड में नहर का कार्य पूर्ण होना बताया जा रहा है तब ऐसे में जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस नहर में पानी छोड़ने से परहेज क्यों कर रहे हैं? और यदि फाटक जाम है भी तो उसके सुधार में देर क्यों की जा रही है।

दूसरी ओर ओव्हर फ्लो पानी दांयी तरफ से बहाने के लिए नाला बनाने विभाग ने एक जेसीबी भिजवा दी है किन्तु जल भराव के कारण जेसीबी अपना काम शुरू नहीं कर सका है। जेसीबी का ऑपरेटर पानी घटने का इंतजार कर रहा है ताकि मिट्टी खोदकर वेस्ट वियर का नाला बनाया जा सके।

ननकीराम ने भूमिपूजन से किया था इंकार

वर्ष-2006 में जब रामपुर विधायक ननकीराम कंवर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री थे, तब उन्होंने उक्त चिताखोल जलाशय का भूमिपूजन करने से इंकार कर दिया था। आरोप था कि जलाशय के लिए जिनकी भूमि अधिग्रहित की गई है उन्हें मुआवजा विभाग द्वारा नहीं दिया गया था। हालांकि बाद में मामला ऊपर तक पहुंचने के बाद भूमिपूजन पश्चात निर्माण कराया गया। उस वक्त डी आर दर्रो जल संसाधन संभाग कोरबा के कार्यपालन अभियंता थे।

इतना ही नहीं करीब 4 साल पहले जब इस जलाशय का एक हिस्सा फूटने से खेतों में पानी भरकर फसल नुकसान हुआ था, तब निर्माणकर्ता ठेकेदार ने मुआवजा का आश्वासन दिया था। जो आज तक आश्वासन ही है।


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