ममता ने जेई मुख्य परीक्षा गुजराती में कराने के फैसला पर जताई आपत्ति
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेई) :मुख्य: गुजराती भाषा में कराये जाने के फैसले पर आपत्ति जताई है

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेई) :मुख्य: गुजराती भाषा में कराये जाने के फैसले पर आपत्ति जताई है और कहा है कि यदि जेई की परीक्षा गुजराती में करायी जा सकती है तो अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में क्यों नहीं?
सुश्री बनर्जी ने बुधवार को सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, “ संयुक्त प्रवेश परीक्षा लंबे समय से अंग्रेजी और हिंदी में करायी जाती रही है। आश्चर्य तरीके से अब सिर्फ गुजराती भाषा को इसमें जोड़ा गया है। इस तरह के कदम सराहने योग्य नहीं है। मैं गुजराती भाषा से प्यार करती हूं, लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को अनदेखी क्यों की गयी है? अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ नाइंसाफी क्यों की गयी है? यदि गुजराती को इसमें जोड़ा जा सकता है, तो बंगाली और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी इसमें जोड़ा जाना चाहिए। ”
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा,“ हमारे देश भारत में कई धर्म, संस्कृतियां, भाषाएं, सम्प्रदाय और जातियां हैं। इस कदम के जरिये केंद्र का इरादा सभी क्षेत्रों और भाषाओं का अपमान करना है। यदि यह फैसला सही तरीके से नहीं लिया जाता है, तो सभी क्षेत्रों में इसका कड़ा विरोध किया जाएगा क्योंकि इस अन्याय के कारण अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बोलने वाले लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।”
उल्लेखनीय है कि जेई मुख्य परीक्षा का आयोजन आने वाले वर्ष में केंद्रीय उत्तर शिक्षा बोर्ड की बजाय राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) करायेगी और इसके लिए अंग्रेजी और हिंदी के साथ ही गुजराती भाषा में भी प्रश्न पत्र तैयार किये जाएंगे। इन तीनों भाषाओं के अलावा अगले वर्ष तमिल तथा अन्य किसी भाषा में यह परीक्षा आयोजित नहीं होगी।
पहले भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान की एडवांस प्रवेश परीक्षा तथा जेई प्रवेश परीक्षा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित की जाती थी, लेकिन अब इन परीक्षा आयोजित मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नव गठित एनटीए द्वारा करायी जाएगी। अब यह एजेंसी जेई मुख्य, राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा, कॉमन मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट, ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नेट की परीक्षा करायेगी।


