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लोकतंत्र के लिए लड़ रहे विपक्षी दलों का चेहरा हैं ममता, 2024 में बनेंगी प्रधानमंत्री : बाबुल

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने के एक दिन बाद रविवार को कहा कि वह चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 में देश की प्रधानमंत्री बने

लोकतंत्र के लिए लड़ रहे विपक्षी दलों का चेहरा हैं ममता, 2024 में बनेंगी प्रधानमंत्री : बाबुल
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कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने के एक दिन बाद रविवार को कहा कि वह चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 में देश की प्रधानमंत्री बनें क्योंकि उनका मानना ​​है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ही विपक्षी दलों का इकलौता चेहरा हैं जो देश भर में श्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने में सक्षम हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के एक दिन बाद मीडिया से कहा, “मैं 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहता हूं क्योंकि वह निस्संदेह भारत की सबसे लोकप्रिय नेता हैं जो मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह ले सकती हैं। जब 2014 में श्री नरेंद्र मोदी को उम्मीद के रूप में देखा गया था, तो ममता बनर्जी को 2024 के प्रधानमंत्री के लिए क्यों नहीं देखा जा सकता। ”

श्री सुप्रियाे के सोमवार को तृणमूल सुप्रीमो से मिलने और उसके बाद सांसद पद छोड़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वह अपनी नयी पार्टी से खुश हैं और सुश्री बनर्जी और उनके भतीजे एवं पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी दोनों को अपनी नयी पारी शुरू करने और बंगाल के लिए काम करने का मौका देने के लिए धन्यवाद देते हैं।

उन्होंने कहा कि सुश्री बनर्जी लोकतंत्र के लिए लड़ने वाली विपक्षी ताकतों का मुख्य स्तंभ हैं, जिसे केंद्र की सत्ताधारी पार्टी ने भी स्वीकार किया तथा उनसे परामर्श किया और उनके संपर्क में रही।

आसनसोल से दो बार सांसद रहे श्री सुप्रियो 2014 में चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बने और उन्हें 2019 के मंत्रालय में फिर से शामिल किया गया लेकिन पिछले मंत्रिमंडलीय फेरबदल में उन्हें मंत्री पद से हटाये जाने तथा पश्चिम बंगाल के पांच अन्य सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह दिये जाने के बाद उनकी राजनीतिक आकांक्षा तुरंत फीकी पड़ गयी। इसके बाद जुलाई के आखिर में उन्होंने यह घोषणा करते हुए भाजपा छोड़ दी थी कि वह राजनीति से संन्यास ले रहे हैं।

श्री सुप्रियो ने कहा, “मुझे बताइये कि एक कनिष्ठ मंत्री के पास क्या शक्ति होती है।” उन्होंने कहा कि उन्हें भाजपा सरकार में काम करने का अवसर नहीं दिया गया था।

इससे पहले दिन में श्री सुप्रियो का ट्विटर पर भाजपा नेता स्वपन दासगुप्ता के साथ वाकयुद्ध हुआ था। श्री दासगुप्ता के इस दावे के जवाब में कि श्री सुप्रियो के ‘दलबदल से उनकी अपनी छवि को नुकसान पहुंच सकता है’, पूर्व मंत्री ने जवाब दिया कि यह उन ‘प्रतिद्वंद्वियों’ के बारे में भी सच होना चाहिए जो भाजपा में शामिल हो गये थे और उन्हें इस साल की शुरुआत में शीर्ष पद दिये गये थे।
उन्होंने कहा, “"क्या मैंने दल बदलकर इतिहास रच दिया? खैर, सभी ‘प्रतिद्वंद्वी’ जो भाजपा में शामिल हुए, उन्हें गले लगाया गया और भाजपा के जमीनी स्तर के ‘असली’ लड़ाकों की अनदेखी करते हुए उन सभी को शीर्ष पदों पर बैठाया गया - उन्हें छोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि इन लोगों ने अपनी छवि खराब की और भाजपा की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।”

श्री दासगुप्ता ने अपने ट्वीट में यह भी कहा था कि तृणमूल में शामिल होने के बाद बाबुल सुप्रियो के प्रति भाजपा समर्थकों का गुस्सा और आम लोगों की ‘घृणा’ ‘बहुत वास्तविक’ थी। इसके जवाब में बाबुल सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने यह मान लिया लेकिन उनका गुस्सा भी ‘असली’ है।


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