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ममता को अब सोनिया गांधी की नहीं मोदी की जरूरत : अधीर रंजन चौधरी

मेघालय में कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों के टीएमसी में शामिल होने पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता को अब सोनिया गांधी की नहीं मोदी की जरूरत।

ममता को अब सोनिया गांधी की नहीं मोदी की जरूरत : अधीर रंजन चौधरी
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नई दिल्ली, मेघालय में कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों के टीएमसी में शामिल होने पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता को अब सोनिया गांधी की नहीं मोदी की जरूरत।

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस के 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए हैं। इसी के साथ मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा में 2018 के विधानसभा चुनावों में एक भी सीट न जीतने वाली टीएमसी अब राज्य में मुख्य विपक्षी दल बन गई। इसको लेकर कांग्रेस ने टीएमसी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाया है।

इस पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता खरीद फरोख्त कर रही हैं। मैं चुनौती देता हूं इन विधायकों को कि अगर हिम्मत है, तो कांग्रेस का चुनाव चिन्ह छोड़कर टीएमसी के चिन्ह पर चुनाव लड़कर दिखाएं। ये प्रशांत किशोर, मुकुल संगमा, लुइजिनो फलेरियो मिलकर कर रहे हैं। मैं जानता हूं इन नार्थ ईस्ट के नेताओं को.. दिन में कुछ और रात में कुछ और.

अधीर रंजन ने कहा, कांग्रेस नेताओं के टीएमसी जॉइन करने के पीछे प्रशंसा किशोर का सबसे बड़ा हाथ, अब पी.के. को कांग्रेस में लेने का सवाल ही नहीं है। मोदी को खुश कर प्रवर्तन निदेशालय और सीपीआई से बचने की कोशिश में हैं, ममता बनर्जी ममता को अब सोनिया गांधी की नहीं मोदी की जरूरत।

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब कांग्रेस को इतना बड़ा झटका लगा है, मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में सरकार भी इसी तरह सरकारें गिर चुकी हैं। वहां भी कांग्रेस के विधायकों ने किसी दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया था।

वहीं मेघालय की बात करें तो अब मुख्य विपक्षी दल का दर्जा कांग्रेस की बजाए टीएमसी को हासिल हो जाएगा और कांग्रेस के इन विधायकों पर दल-बदल कानून भी लागू नहीं होगा, क्योंकि इन दो-तिहाई विधायकों ने एक साथ पार्टी बदलने का निर्णय लिया है, जिस पर ये कानून लागू नहीं होता है।

उल्लेखनीय है कि 2018 के मेघवाल विधानसभा चुनावों में कुल 60 सीटों में से कांग्रेस 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी। वहीं कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और बीजेपी को दो सीटें मिली थीं।


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