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मालाबार के मोपला नरसंहार को पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए : भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और शिक्षा से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा है

मालाबार के मोपला नरसंहार को पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए : भाजपा सांसद विनय सहस्रबुद्धे
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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद और शिक्षा से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने कहा है कि 1921 में मालाबार में हुए नरसंहार की घटना को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए।

विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि शिक्षा से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष होने के नाते वो पिछले कई महीनों से पाठ्यक्रमों की समीक्षा करने का ही काम कर रहे हैं और उनका मानना है कि देश की नई पीढ़ी को मालाबार नरसंहार का सच जानना चाहिए। भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई जैसे भारत के महान सपूतों के बारे में पूरी जानकारी मिलनी चाहिए।

खिलाफत आंदोलन के दौरान 100 साल पहले हुई हिंसा को 1921 मालाबार हिन्दू नरसंहार बताते हुए इसकी 100 वीं बरसी पर दिल्ली के कनॉट प्लेस के चरखा म्यूजियम पार्क में आयोजित प्रदर्शनी और श्रद्धाजंलि सभा में बोलते हुए भाजपा सांसद ने यह भी कहा कि यह काम प्रतिशोध की भावना से नहीं किया जा रहा है लेकिन जिन बेकसूर हिंदुओं ने अपनी जान गंवाई , उन्हें नमन और याद करना जरूरी है।

आईएएनएस से बातचीत करते हुए कार्यक्रम के आयोजक और आरएसएस के वरिष्ठ नेता जे नंदकुमार ने कहा कि केरल की लेफ्ट सरकार 1921 का नरसंहार करने वालों का महिमामंडन कर रही है और उसका विरोध करने के लिए राजधानी दिल्ली में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

आईएएनएस से बातचीत करते हुए जे नंदकुमार ने कहा कि तालिबान के रूप में एक बड़ा खतरा भारत के लिए पैदा हो गया है और भारत मे फिर से मालाबार दोहराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।

प्रदर्शनी और श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बोलते हुए दिल्ली से लोकसभा सांसद रमेश बिधूड़ी, भाजपा नेता कपिल मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने भी 1921 में हुए मालाबार नरसंहार की निंदा करते हुए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए वामपंथी इतिहासकारों और कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना की। कपिल मिश्रा और रमेश बिधूड़ी दोनों ने जेएनयू , जामिया और शाहीन बाग का जिक्र करते हुए देश के खिलाफ नारे लगाने वालों को इसी मानसिकता का प्रतीक बताया।

आरएसएस के वरिष्ठ नेता और प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे नंदकुमार ने मांग की कि 100 साल पहले हिंदुओं का नरसंहार करने वालों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताकर भगत सिंह से तुलना कर महिमामंडित करने का प्रयास बंद किया जाए और साथ ही नरसंहार करने वाले लोगों के परिवारों को जो पेंशन दी जा रही है उसे बंद किया जाए। उन्होंने बताया कि इन मांगों के समर्थन में 26 सितंबर को दिल्ली में एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया है और इन मांगों के पूरा होने तक उनका यह अभियान जारी रहेगा।


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