कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों को बदलने के लिए कानून बनाएं : एनएचआरसी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अपमानजनक शब्दों के प्रतिस्थापन (बदलना) का प्रावधान करने के लिए एक कानून बनाने पर विचार करना चाहिए

नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अपमानजनक शब्दों के प्रतिस्थापन (बदलना) का प्रावधान करने के लिए एक कानून बनाने पर विचार करना चाहिए।
एनएचआरसी ने सोमवार को केंद्र और राज्यों को जारी अपनी एडवाइजरी में यह बात कही है।
एनएचआरसी ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक विस्तृत एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कुष्ठ से प्रभावित व्यक्तियों की समय पर पहचान, उपचार और उनके खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान किया गया है। एडवाइजरी में देश के 97 कानूनों में कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कानूनी प्रावधानों को सूचीबद्ध किया है और उन्हें हटाने का आह्वान किया गया है।
एडवाइजरी में यह सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है कि कुष्ठ रोग से पीड़ित किसी भी व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य के साथ भेदभाव न किया जाए और स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा और भूमि अधिकारों के सभी या किसी भी अधिकार से वंचित न किया जाए।
इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कि कुष्ठ रोग पूरी तरह से इलाज योग्य है और कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति एमडीटी की पहली खुराक प्राप्त करने के बाद संक्रामक नहीं रहता है और सामान्य विवाहित जीवन जी सकता है, बच्चे पैदा कर सकता है, सामाजिक कार्यक्रमों में भाग ले सकता है और सामान्य रूप से काम या स्कूल/कॉलेज जा सकता है, आयोग प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और सिविल सोसायटी संगठनों को शामिल करके जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान करता है।
एडवाइजरी में यह भी प्रावधान किया गया है कि जागरूकता कार्यक्रम में इस बात पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए कि कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों को किसी विशेष क्लिनिक या अस्पताल या सेनेटोरियम में भेजने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें परिवार के सदस्यों या समुदाय से अलग नहीं किया जाना चाहिए। देश के युवाओं में संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
जीवन की बेहतरी और वित्तीय स्वतंत्रता के लिए, आयोग ने कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्य को व्यावसायिक प्रशिक्षण, रोजगार लाभ, बेरोजगारी लाभ, माता-पिता की छुट्टी, स्वास्थ्य बीमा, अंतिम संस्कार लाभ आदि प्रदान करने के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू करने का आह्वान किया है।


