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बिहार में धूमधाम से मनायी जा रही मकर संक्रांति

बिहार में मकर संक्राति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।

बिहार में धूमधाम से मनायी जा रही मकर संक्रांति
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पटना। बिहार में मकर संक्राति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।

मकर संक्रांति इस बार दो दिन मनाई जा रही है। कुछ लोग ने कल यह पर्व मनाया था। मकर संक्राति का पर्व आज भी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो यह घटना संक्रमण या संक्रांति कहलाती है। संक्रांति का नामकरण उस राशि से होता है, जिस राशि में सूर्य प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं।

मकर संक्रांति के त्योहार पर गंगा में स्नान का बहुत महत्व माना जाता है। चूड़ा-दही के पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर पटना के आस-पास के ग्रामीण इलाकों से गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला दो दिन पूर्व से ही शुरु हो गया था, जो आज सुबह तक जारी रहा।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही गंगा स्नान शुरू हो गया। सुबह से ही गंगा में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। ग्रामीण इलाकों के अलावा शहर के विभिन्न मुहल्लों से श्रद्धालुओं ने राजधानी के महेन्द्रू घाट, समाहरणालय घाट, काली घाट, भ्रद घाट, गांधी घाट, कृष्णा घाट समेत विभिन्न घाटों पर जाकर गंगा नदी में स्नान किया और भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की।

राजधानी पटना में गंगा के अलग-अलग घाटों पर श्रद्धालु हर-हर गंगे का उच्चारण करते हुए नदी में डुबकी लगाकर भगवान भाष्कर की पूजा कर रहे हैं। साथ ही ब्राह्मणों को चूडा, गुड़ और तिल का दान किया जा रहा है। मकर संक्रांति के इस पावन अवसर पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गंगा में डुबकी लगाने से श्रद्धालुओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा नदी में स्नान को लेकर प्रशासन की ओर से विभिन्न घाटों पर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये हैं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी जहां कल रात से ही घाटों पर तैनात थे वहीं राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें नौकाओं के माध्यम से गंगा नदी में गश्त लगा रही है। जिला प्रशासन की ओर से गंगा नदी में निजी नौकाओं के परिचालन पर रोक लगा दी गयी है।

मकर संक्रांति को पिता-पुत्र के पर्व के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन पुत्र और पिता को तिलक लगाकर उनका स्वागत करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करते हैं और दो माह तक रहते हैं। मकर संक्रांति से कई कथाएं भी जुड़ी हैं। इस द‌िन गंगा स्नान का महत्व उस समय से माना जाता है जब पहली पर गंगा पृथ्वी पर आई और महाराज भग‌ीरथ के पीछे-पीछे चलते हुए कप‌िल मुन‌ि के आश्रम में सगर के पुत्रों का उद्धार क‌िया और सागर से म‌िल गई।

इस दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है। आज के दिन तिल के दान का बड़ा महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन तिल से बनी सामग्री ग्रहण करने से कष्टदायक ग्रहों से छुटकारा मिलता है। गंगा स्नान और दान-पुण्य से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है।

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा रही है। सूर्य के उत्तरायण होने की शुरुआत के स्वागत में मनाये जाने वाले पर्व मकर संक्रांति के दिन उमंग, उत्साह और मस्ती का प्रतीक पतंग उड़ाने की लंबे समय से चली आ रही परंपरा मौजूदा दौर में काफी बदलाव के बाद भी बरकरार है।

इस दिन पतंगबाजी करते लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। लोग सुबह से ही चूड़ा-दही खाने के बाद अपने घर की छतों पर चले गये और पंतगबाजी का आनंद ले रहे हैं। बच्चों और युवाओं में पतंगबाजी का जोश देखने को मिल रहा है। आकाश में रंग-बिरंगी अठखेलियां करते पतंग को देख हर किसी का मन पतंग उड़ाने के लिए लालायित हो उठा है। गंगा स्नान के बाद सूर्य दर्शन कर परिजनों के साथ लोग आकाश में रंग बिरंगे पतंगों को उड़ाकर आनंदित हो रहे हैं।


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